विभीषिका दिवस: क्या 1947 में भारत का विभाजन अवश्यंभावी था?

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विभीषिका दिवस: क्या 1947 में भारत का विभाजन अवश्यंभावी था? India Pakistan Partition August1947 PradipKumar

कौमों, हिंदू और मुसलमान को सेना में नौकरी दी। वे हर प्लाटून, हर डिवीजन में मिश्रित रूप से रहने लगे। उनमें एकता और भाईचारा विकसित होने लगा। सिपाहियों में हिंदू-मुसलमान का भेद नहीं रहा। वे एक-दूसरे के सहायक और समर्थक हो गए।' पाकिस्तानी मूल के इतिहासकार इश्तियाक अहमद लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सामूहिक रसोई बंद कर दी। हिंदुओं और मुसलमानों का खाना अलग-अलग बनने लगा। सर सैयद कांग्रेस से दूर रहने और अंग्रेजों का साथ देने के लिए मुसलमानों को लगातार भड़काते रहे। इस तरह हिंदू-मुस्लिम एकता की...

जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन के विनाशकारी रूप को दुनिया ने 16 अगस्त, 1946 को कोलकाता में देखा। कोलकाता से शुरू हुए दंगे देश भर में फैल गए। इसके बाद एकता की बची-खुची उम्मीद भी खत्म हो गई। ब्रिटिश सरकार की विभिन्न योजनाओं और जिन्ना के अड़ियलपन के चलते भारत को अखंड रखने के रास्ते बंद हो गए। स्वतंत्रता संग्राम के शीर्ष सेनानी, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के विखंडन की रूपरेखा प्रस्तुत करने वाले किसी भी लोले-पोले फेडरेशन को नहीं स्वीकार कर सकते थे। विभीषिकाओं की एक झलक पाने के लिए...

कौमों, हिंदू और मुसलमान को सेना में नौकरी दी। वे हर प्लाटून, हर डिवीजन में मिश्रित रूप से रहने लगे। उनमें एकता और भाईचारा विकसित होने लगा। सिपाहियों में हिंदू-मुसलमान का भेद नहीं रहा। वे एक-दूसरे के सहायक और समर्थक हो गए।' पाकिस्तानी मूल के इतिहासकार इश्तियाक अहमद लिखते हैं कि इसके बाद अंग्रेजों ने सामूहिक रसोई बंद कर दी। हिंदुओं और मुसलमानों का खाना अलग-अलग बनने लगा। सर सैयद कांग्रेस से दूर रहने और अंग्रेजों का साथ देने के लिए मुसलमानों को लगातार भड़काते रहे। इस तरह हिंदू-मुस्लिम एकता की...

 

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