नई दिल्ली: अयोग्यता को लेकर स्पीकर द्वारा फैसला ना लेने पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के वन मंत्री एवं भाजपा विधायक टी. श्यामकुमार को मंत्री पद से हटा दिया. उनके मणिपुर विधान सभा में घुसने पर भी रोक लगा दी है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद स्पीकर ने इस मामले में 4 सप्ताह के भीतर अयोग्यता पर फैसला नहीं किया था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराज होकर संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया.
कोर्ट ने कहा कि मंत्री श्याम कुमार विधान सभा में प्रवेश नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कुमार को उनके मंत्री पद से भी हटा दिया. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 28 मार्च को होगी. दरअसल, 21 जनवरी को उच्चतम न्यायालय ने मणिपुर विधानसभा के अध्यक्ष से कहा था कि वह मणिपुर के वन मंत्री एवं भाजपा विधायक टी. श्यामकुमार को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली कांग्रेस नेता की याचिका पर चार हफ्ते में फैसला लें. इसी दौरान अदालत ने अयोग्य ठहराने की मांग करने वाली याचिकाओं को देखने के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली बनाने का सुझाव दिया था.
टिप्पणियांन्यायमूर्ति आर. एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस विधायक फजुर रहीम और के. मेघचंद्र से कहा था कि यदि विधानसभा अध्यक्ष भाजपा के मंत्री की अयोग्यता की मांग करने वाली याचिका पर चार हफ्ते के भीतर फैसला नहीं ले पाते हैं तो वह फिर से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. भाजपा के मंत्री ने विधानसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जीता था लेकिन बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और मंत्री बन गए. कोर्ट ने ने कहा था कि संसद को इस पर पुन: विचार करना चाहिए कि अयोग्यता संबंधी याचिकाओं पर फैसला अध्यक्ष द्वारा लिया जाना चाहिए अथवा नहीं. कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की शक्तियों पर पुन: विचार का सुझाव देते हुए कहा कि यह ध्यान रखना आवश्यक है कि अध्यक्ष स्वयं किसी राजनीतिक दल से आते हैं.
transfer k liye aply to kiya hi hoga inhone pahle se..
न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है।
जब विधायक उन का स्पीकर उन का तो बो कैसे हटाएंगे साहब।
ये बीजेपी का संस्कार है. साथ ही चुनी हुई सरकार को अस्थिर कर गिराना और बेहद गंदी राजनीति करना कायरता है.
विधानसभा अध्यक्ष पार्टी के सदस्य ना होकर संविधान बिशेषज्ञ ही होने चाहिए ताकि जर्जर व्यवस्था की मरम्मत की जा सके...
कोई फर्क नहीं पड़ता और खरीद लेंगे ..😏
सुप्रीम कोर्ट में बैठे खुद अयोग्य हैं सब। लालच और डर से फैसला सुनाते हैं। ना रहा कानून, ना रहा लोकतंत्र और ना रहा सुप्रीम कोर्ट। सब भ्रष्ट हैं।
लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं के अध्यक्ष तथा केन्द्र शासित प्रदेशों या सभी प्रदेशों के राज्यपालों और उपराज्यपालो के पद पर कोई अधिकार होना चाहिए जिसे नेता और जज मिलकर चुने ताकि बड़े पदों की गरीमा पर आंच आने के कम अवसर हो। rashtrapatibhvn VPSecretariat PMOIndia NITIAayog
Good
माननीय उच्चतम न्यायालय को फैसला लेना चाहिए कि 'नेता जिस दल के चुनाव चिन्ह पर जीते हैं,पूरे 5 साल उसी दल में रहना होगा', इस्तीफा देंते ही अगले 5 वर्ष उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगना चाहिए,क्योंकि भारत में जनप्रतिनिधियों की नैतिकता अपने निम्नतम स्तर पर चली गई है INCIndia BJP4India
Ab next faisla aayega....Kisi ka transfer hoga
Picture abi baki h ......
कहीं SC ना बंद हो जाय!!!
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