गुजरात भाजपा अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं रहे.आलाकमान यह बताना चाहता है कि जब पार्टी के आदर्श राज्य गुजरात में मुख्यमंत्री को बदला जा सकता है; तो किसी अन्य मुख्यमंत्री का भी यही हश्र हो सकता है.गुजरात में पाटीदारों का गुस्सा तब से कम नहीं हुआ है, जब से पाटीदारों ने 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के तुरंत बाद सरकारी नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था.
प्रधानमंत्री मोदी की जाति मोदी घांची है, जिसे पहले वैश्य/बनिया जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था और फिर 25 जुलाई, 1994 को ओबीसी सूची में शामिल कर लिया गया था. विधेयक को द्विदलीय समर्थन के साथ पारित किया गया था, लेकिन पारित होने से पहले चर्चा के दौरान दोनों पक्षों के सांसदों ने ओबीसी समुदायों के लिए कुछ खास नहीं करने के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया.
पटेलों के कई उपजातियां हैं, लेकिन लेउवा और कदवा सबसे प्रमुख हैं. 1931 में अंग्रेजों द्वारा पहली बार पटेलों के रूप में वर्गीकृत किए गए पाटीदारों का मानना है कि लेउवा और कदवा क्रमश: लव और कुश के वंशज हैं.गुजरात के पटेलों ने इसलिए आंख बंद करके राम मंदिर आंदोलन का समर्थन किया और 1995 में गुजरात में पहली बार भाजपा की बहुमत वाली सरकार बनने का प्रमुख कारण बना. यही कारण था कि शंकरसिंह वाघेला के बजाय केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री बनाया गया था.
यही प्रमुख कारण है कि रूपाणी को इस्तीफा देना पड़ा है. पटेल नेता और अब कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा, ‘अगर पीएम नरेंद्र मोदी उसी अहंकार को बरकरार रखते हैं, जिसमें उन्होंने 2016 में एक पटेल सीएम को हटाकर एक जैन को नियुक्त किया था; तो यह दिसंबर 2022 के चुनावों में भाजपा को महंगा पड़ेगा. मुख्य रूप से इसलिए कि आम आदमी पार्टी यानी आप ने गुजरात में एक मजबूत आधार बनाना शुरू कर दिया है और मुख्य रूप से पटेलों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है.
जाहिर है, यह सब भाजपा आलाकमान के निर्देशों के तहत हुआ और विजय रूपाणी लगातार उन कार्यों में लिप्त रहे, जिसके कारण राज्य में बड़े पैमाने पर कोविड-19 फैल गया. वह न केवल अति आत्मविश्वासी हो गए, बल्कि जनता के बीच हकलाने भी लगे. इतना ही नहीं, अपनी शैली और तौर-तरीकों से मजाकिया व्यक्ति बन कर रह गए. मीम्स ने उनका मजाक उड़ाया. किसी नौकरशाह ने, यहां तक कि उनके करीबी लोगों ने भी उन्हें यह नहीं बताया कि मुख्यमंत्री वास्तव में जनसंपर्क आपदा की ओर बढ़ रहे हैं.ऐसा भी था, लेकिन कभी भी सीएम या सीआर द्वारा खुले तौर पर स्वीकार नहीं किया जाएगा. लेकिन यह भीतर की बात है कि दोनों के बीच तालमेल ठीक से नहीं चल रहा था.
pbhushan1 DeepalTrevedie ppbajpai khanumarfa DaminiY26747626 NcAsthana suryapsingh_IAS VinodDua7 thewire_in shekhar_tiwarii लोग इस भ्रम में हैं कि गुजरात को मुख्यमंत्री चलाते हैं!
खुदके नाकारापन और AAP की दमदार-धमाकेदार आमदके कारण।
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