लोकतंत्र के लिए कैसा है कृषि कानूनों पर फैसला

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पीएम ने छवि के उलट जाकर किया तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान, लोकतंत्र के लिए कैसा है कृषि कानूनों पर फैसला?

राजनीति विज्ञान में किसी पश्चिमी विचारक का प्रधानमंत्री पद के लिए एक कथन खूब पढ़ाया जाता है। इसके जरिए बताने की कोशिश होती है कि संसदीय लोकतंत्र में प्रधानमंत्री पद की क्या अहमियत होती है। इस कथन के अनुसार, प्रधानमंत्री देश रूपी जहाज का मस्तूल होता है। पानी के जहाज में मस्तूल का वही काम होता है, जो कार-बस में स्टीयरिंग का। इस कथन के संदर्भ में देखें तो तीन कृषि कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री की घोषणा का स्वागत होना चाहिए। लेकिन पिछले साल नवंबर से आंदोलनरत तबके अपना आंदोलन वापस लेने को तैयार...

सोशल मीडिया के दौर में सबके अपने-अपने नैरेटिव हैं और उसी के अनुरूप अपने-अपने चहेतों और विरोधियों की छवियां हैं। नैरेटिव के हिसाब से सबके अपने दुश्मन हैं और सब उन्हें अपनी तरह से नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। दिलचस्प है कि सारा कुछ देश और लोकतंत्र को बचाने के नाम पर हो रहा है। सच पूछें तो देश और लोकतंत्र की असल चिंता अगर कहीं है, तो वह ‘ऑफ द रेकॉर्ड’ वाले विचारों और ठेठ देसज सोच में ही बची रह गई है। जब प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों की वापसी का ऐलान किया तो देसज सोच और ‘ऑफ द रेकॉर्ड’ वाली...

प्रधानमंत्री मोदी की छवि उनके विरोधियों की नजर में निरंकुश और अड़ियल शासक की रही है। हालांकि इस सोच को चुनौती नागरिकता संशोधन विरोधी आंदोलन के साथ ही किसान आंदोलन भी देता रहा है। दोनों आंदोलनों को पुलिस या सेना के दम पर दबाने की सरकार ने कभी कोशिश नहीं की। ऐसा नहीं कि प्रधानमंत्री चाहते तो यह नहीं हो सकता था। राजनीति विज्ञानी मानते ही हैं कि संसदीय लोकतंत्र में बहुमत दल का नेता बहुमत के चलते निरंकुश बन सकता है। लेकिन कम से कम नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन और किसान आंदोलन को कुचलने की...

यह मामूली बात नहीं है कि निरंकुश और अड़ियल समझी जाने वाली शख्सियत अपने मान और अपमान को किनारे रखकर उन कानूनों की वापसी के लिए देश से माफी मांग ले, जिसे वह अब भी खराब नहीं मानती। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री योगेंद्र कुमार अलघ की कभी ना तो संघ परिवार से नजदीकी रही, ना कभी वे नरेंद्र मोदी के करीबी रहे। लेकिन कानून वापसी के अगले ही दिन लिखे अपने लेख में उन्होंने माना है कि इस कानून को अगर कड़ी-दर-कड़ी लागू किया जाता तो नतीजे कुछ और होते। उन्होंने कहा है कि कुछ अपवादों को छोड़ दें...

 

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कृषितन्त्र के लिये खराब है।

It's too early to conclude PM decision on farm law. It's better to wait for time being, more stringent laws will come next time so those are not aware about modi are be careful.

घातक ,चंद सिरफिरे किसानों के कारण लिए कृषि कानूनों की वापसी बहुमत किसानों की अनदेखी है।

देश को इसकी कनूनी अवस्था का भान नही! ऐकनही 3बिल वापस लिऐ, ऐक साथ सरकार अर्थात सरकार जनता से मध्यावधि चुनाव करा, विश्वास पाऐ! माननिय स्वतः बर्खास्त करें मोदी सरकार!

Wrong decision Corrected after 350+ days and killing over 700+ farmers

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