लॉकडाउन: दिल्ली से मुरैना पैदल, व्यक्ति की हुई मौत

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लॉकडाउन: दिल्ली से मुरैना पैदल, व्यक्ति की हुई मौत- प्रेस रिव्यू

सांकेतिक तस्वीर

सिकंदरा पुलिस स्टेशन के हाउस ऑफ़िसर अरविंद कुमार ने बताया कि रणवीर को सड़क पर बेहोश देखकर एक स्थानीय दुकानदार संजय गुप्ता उनकी ओर दौड़े. 21 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मज़दूर बड़ी संख्या में अपने घरों को पैदल ही जा रहे हैं."मैं प्रधानमंत्री आवास से बोल रहा हूं. प्रधानमंत्री आपसे बात करना चाहते हैं."हिंदुस्तान टाइम्सके अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले एक हफ़्ते से ऐसे लोगों को फ़ोन कर रहे हैं जो कोरोना संकट के दौरान चुनौतीपूर्ण स्थितियों में काम कर रहे हैं.अख़बार लिखता है कि प्रधानमंत्री मोदी इस तरह लोगों को फ़ोन करके उनका हौसला बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं.

इन्हीं आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार पीएसयू और प्राइवेट कंपनियों के साथ मिलकर वेंटिलेटर समेत अन्य मेडिकल उपकरण तैयार करने की कोशिश कर रही है.

 

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So sad, corona se pahle bhook aur lachari se mar jayenge indians COVID2019india 21daylockdown Lockdown21 lockdownindia AnandVihar CoronaUpdate CoronaUpdatesInIndia StayHomeSaveLives

यह मौत नहीं है यह मर्डर है भारत सरकार ने उसे मारा है बीजेपी के नेताओं ने उसे मारा वह अपनी मौत नहीं मारा इसे मौत नहीं कहेंगे मर्डर कहेंगे

AamAadmiParty ArvindKejriwal heartbreaking! Please do something. Why were the buses arranged earlier. How many are stuck on highway. Can the police treat the citizens fairly so that they won't have to hide.

Ye sale aise hi Marenge,,, sabse pehle maut inko।aati hai Delhi me।Kitna Kiya ja Raha hai inke।liye lekin ye Nahi सुधरेंगे

BBC save your queen first

इस सब का जिम्मेदार केजरीवाल है उसी ने जानबूझकर न्यूज़ दिया था केजरीवाल तो यूपी में भूल कर भी मत आना तेरा &+

सरकार यानी केंद्र सरकार के लोग अभी तक मैदान में नहीं उतरे हैं जबकि केजरीवाल के उपमुख्यमंत्री यहां से वहां पैदल दौड़ कर कम से कम जनता के साथ तो हैं

इसमें सरकार की कोई गलती नही है।

Sarmnak

अच्छा हुआ बीमारी लेके गांव नहीं गया ,जब कि राहुल ख़ान यही चाह रहे थे

जब तक भारतीय सरकार थी तब तक सब ठीक था ,जब से हिन्दू सरकार आई हैं गरीब जनता को तरह-तरह से प्रताड़ित किया गया है ।क्या किसी को याद है कि उनके बाप दादा आखिरी बार कब इस तरह पैदल गए थे

क्या हुआ नींद आयी जो हम सो गए अपने प्यारे भारत को जगा के चले

इस आपात समय में मजदूरों को सड़कों में बिना चप्पलों के चलते देखना, बच्चों को कंधे पर बैठाकर चलते देखना एक अजीब सा दर्द दे रहा है। आज़ादी के इतने वर्षों बाद हमारा विकास सड़कों पर कीड़ों की तरह रेंग रहा है। हम हमेशा पाकिस्तान पर तंज कसते रह गए, कभी अपने गिरेबान में नहीं झांका हमने।

आज नहीं तो कल जरूरत सबको पड़ेगी राशन की अकेले मजदूरों को नहीं सबको पड़ेगी ,लेकिन स्थानीय प्रशासन का व्यवहार सही नहीं है ।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

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