लॉकडाउन 1.0 से लॉकडाउन 3.0 तक भारत में क्या बदला?

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हर लॉकडाउन अवधि में भारत में कोरोना से मृत्यु दर हल्की बढ़ती गई RE

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन 4.0 के आने की पुष्टि की, हालांकि, इस बार नियम अलग होंगे. Covid-19 महामारी के खत्म होने के कोई संकेत नहीं होने की वजह से यह अपेक्षित था. भारत ने पहले तीन लॉकडाउन में कैसा किया? जवाब हमेशा की तरह उस इंडिकेटर में छुपा है, जिसे आप देखने के लिए चुनते हैं.सबसे बुनियादी संकेतक जो माना जाता है वहां भारत के लिए खबर अच्छी नहीं है.

हालांकि, केसों में औसत दैनिक बढ़ोतरी की रफ्तार हर लॉकडाउन अवधि के साथ धीमी हुई है. लॉकडाउन के दूसरे और तीसरे चरण में केसों की दैनिक बढ़ोतरी दर लॉकडाउन 1.0 के पहले तीन हफ्तों की तुलना में आधी रही.यही ट्रेंड मौतों के आंकड़ों को लेकर भी है. जबकि हर दिन दर्ज होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन उनकी बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी हुई है. हालांकि, एक आंकड़ा चिंता देने वाला है. प्रत्येक लॉकडाउन अवधि के दौरान भारत की केस मृत्यु दर हल्की बढ़ती गई.

केरल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्य हर दिन बढ़ने वाले केसों की संख्या को लेकर राष्ट्रीय ट्रेंड जैसी तस्वीर ही दिखा रहे हैं. केरल और तेलंगाना अकेले ऐसे राज्य ,हैं जिन्होंने लॉकडाउन 1.0 से 3.0 तक हर दिन दर्ज होने वाले केसों की संख्या में गिरावट दर्ज की है. हालांकि, तेलंगाना को अपने आधिकारिक डेटा में अंतर की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं केरल में विदेश से अपने नागरिकों की वापसी की स्थिति में केसों की संख्या में बढ़ोतरी देखनी पड़ सकती है, जिसके लिए वो तैयारी कर रहा है.

अगर लॉकडाउन 4.0 की जरूरत है, और जैसा कि सुझाव दिया जा रहा है कि इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यात्राओं और कामकाज को खोला जाएगा, तो भारत को इस असलियत को जेहन में रखना चाहिए कि ये वायरस के फैलाव को रोकने की जंग में आरामदायक स्थिति में पहुंचने से पहले ही सख्त लॉकडाउन से बाहर आने जा रहा है.

 

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Sab sadk pe agate he bhukh pyas se mat rahe he yahi badlav Aya he Dane Dane ko mohtaj he

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