नई दिल्ली. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान थाइलैंड और बर्मा को रेलवे लाइन से जोड़ने के लिए जापान ने थाइलैंड-बर्मा लिंक रेलवे का निर्माण किया था. इस रेलवे लाइन को तैयार करने में जितनी मौतें हुई, उतनी किसी अन्य परिवहन मार्ग के निर्माण में दुनिया में कहीं नहीं हुई. 415 किलोमीटर लंबे इस इस रेल ट्रैक के निर्माण में करीब 1.20 लाख लोगों की मौत हो गई. यानी एक किलोमीटर में रेल की पटरी बिछाने में ही 290 इंसानी लाशें बिछ गईं. यही कारण है कि यह लाइन ‘डेथ रेलवे’ के नाम से मशहूर है.
इसलिए उसने थाईलैंड में नोंग प्लाडुक से लेकर बर्मा के थानबुयाजत के बीच रेल लाइन बिछाने का फैसला किया. समुद्री मार्ग से थाइलैंड और बर्मा तक के लिए जापानी जहाजों को 3200 किलोमीटर की समुद्री यात्रा करनी पड़ रही थी. यह यात्रा बहुत जोखिम भरी थी. इसी कारण एक सुरक्षित मार्ग की जरूरत थी. 2.40 लाख लोगों को लगाया गया काम पर थाइलैंड-बर्मा लिंक रेलवे रूट पर खतरनाक जंगल, पहाड़ी इलाका और कई नदी और नाले थे. लेकिन, जापान हर हाल में इस रूट पर रेलवे लाइन बिछाना चाहता था.
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