रोजाना सेंधा नमक का इस्‍तेमाल कर सकता है बीमार, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

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इंडियन ब्‍यूरो ऑफ माइन्‍स की इंडियन मिनरल्‍स ईयरबुक 2017 का तीसरा मिनरल रिव्‍यू भी इस बात की तस्‍दीक करता है कि भारत में लोग अब सेंधा नमक ज्‍यादा इस्‍तेमाल कर रहे हैं.

पिछले कुछ दिनों से न केवल हार्ट, ब्‍लड प्रेशर और हाइपरटेंशन वाले मरीजों के घरों में बल्कि सामान्‍य घरों में भी सेंधे नमक के इस्‍तेमाल का एक ट्रेंड बन गया है. कई कार्डियोलॉजिस्‍ट और आयुर्वेदिक चिकित्‍सकों की ओर से सेंधे नमक की सलाह के बाद स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर चिंतित लोगों ने अपनी रसोई से साधारण नमक या टेबल साल्‍ट को पूरी तरह हटा दिया है. आज ऐसे हजारों घर हैं जहां खाने में सिर्फ सेंधा नमक ही इस्‍तेमाल हो रहा है.

बेहद दिलचस्‍प है कि साउथ अमेरिका में भारतीयों की यानो-मामो जनजाति है, इसके अलावा भारत में जारवा जनजाति है जो अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहती है. ये जनजातियां कभी भी नमक नहीं खाती हैं. कहा जाता है कि जब इन्‍हें कोई नमकीन चीज दी जाती है तो इनको हाई की समस्‍या होने लगती है, जो आमतौर पर एल्‍कोहल लेने के बाद होती है. डॉ. कालरा कहते हैं कि अगर ये लोग बिना नमक के रह सकते हैं तो हम लोग अपने रूटीन खाने में नमक का इस्‍तेमाल कम से कम तो कर ही सकते हैं.

वहीं डॉ. मोहित गुप्‍ता कहते हैं कि कोई भी नमक खराब नहीं है, हर नमक अलग प्रकार से लाभ देता है, इसके साथ ही कोई भी नमक चाहे वह सेंधा ही है पूरी तरह लाभप्रद नहीं है. मुख्‍य चीज है कि नमक की मात्रा को कम किया जाए. प्रतिदिन दो ग्राम से ज्‍यादा नमक का इस्‍तेमाल हार्ट ही नहीं बल्कि सामान्‍य मरीजों के लिए भी नुकसानदायक है. चटनी, अचार, टिन्‍ड जूस या प्रिजर्वेटिव्‍स वाले पदार्थों में सामान्‍य से पांच गुना ज्‍यादा नमक होता है, इनका इस्‍तेमाल पूरी तरह बंद करना होगा.डॉ.

 

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