पूर्व में भी मध्य एशियाई देशों में शामिल इस देश की सीमाओं के बारे में दावे किए जाते रहे हैं. लेकिन इससे पहले कज़ाकिस्तान के अधिकारियों ने, कभी भी इतने कड़े तेवरों में उनका जवाब नहीं दिया है.
कज़ाकिस्तान के एक सरकारी अख़बार की वेबसाइट पर एक लंबा लेख प्रकाशित हुआ है. इस लेख में कज़ाकिस्तान के राष्ट्रपति क़ासिम जोमार्ट टोकाययोने ने कहा, कि कज़ाकिस्तान को सार्वजनिक और आधिकारिक स्तरों पर कज़ाकिस्तान की भौगोलिक सुरक्षा के बारे में, बाहरी तत्वों द्वारा दिए गए भड़काऊ बयानों का भरपूर जवाब देना चाहिए.
टोकाययोने ने अपने लेख में रूस का नाम नहीं लिया, और न ही नूर सुल्तान नज़रबायोफ़ ने अपने भाषण में ऐसा किया था. एक साल में यह दूसरी बार है कि राष्ट्रपति टोकाययोने के राष्ट्रीय हितों की रक्षा में दिए गए बयानों की देश में ख़ूब प्रशंसा हुई है. पिछले साल मई में, उन्होंने रूस के नेतृत्व में बनाये जाने वाले 'यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन' नामक गठबंधन की भी आलोचना की थी. और चिंता व्यक्त की थी, कि इस गठबंधन का उद्देश्य कज़ाकिस्तान सहित इस क्षेत्र के देशों की संप्रभुता को सीमित करना है.
इसका एक मुख्य कारण देश में रहने वाले रूसी मूल के 35 लाख लोग हैं, जो कुल आबादी का 20 प्रतिशत हिस्सा बनते हैं. इनमें से अधिकांश देश के उत्तर में रूस से मिली हुई 6,846 किलोमीटर लंबी सीमा से लगे क्षेत्रों में रहते हैं.
Chin ek din Africa per bhi apna claim karega !! Chini CCP ke raj mein aisa hi hai .