पिछले साल राष्ट्रपति पुतिन की सरकार के ख़िलाफ़ बग़ावत कर पूरी दुनिया को सकते में डालने वाली प्राइवेट आर्मी वागनर ग्रुप को रूस ने प्रभावी तरीक़े से भंग करके बदल दिया है.मॉस्को में सेना प्रमुखों के साथ महीनों तक चले तनाव के बाद वागनर ग्रुप के नेता येवगेनी प्रिगोझिन ने 23 जून 2023 को यूक्रेन से सीमा पार की और दक्षिणी शहर रोस्तोव पर कब्ज़ा कर लिया था.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "वागनर शायद पहले की तरह बिलकुल मौजूद ना हो, लेकिन इस समूह के कुछ हिस्से अभी भी मौजूद हैं. हालांकि ये रूस में इस तरह से बिखरे हुए हैं कि इन पर किसी एक का कंट्रोल नहीं है." अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अनुसार, "अपने चरम पर वागनर के पास यूक्रेन में लगभग 50 हज़ार भाड़े के सैनिक थे."
पूर्व वागनर सैनिकों को छह महीने के अनुबंध पर यूक्रेन और नौ महीने के अनुबंध पर अफ़्रीका में तैनात किया जाना था. हाल ही में बीबीसी रूसी सेवा की पड़ताल में पाया गया कि अन्य पूर्व वागनर लड़ाकों ने चेचन्या में व्लादिमीर पुतिन के ताकतवर नेता रमज़ान कादिरोव और उनकी अखमत सेना के साथ लड़ने के लिए हस्ताक्षर किए हैं.इमेज कैप्शन,जब वागनर की कमज़ोरी आई सामने
अपने दौरे में उन्होंने अधिकारियों को आश्वासन दिया कि जो सेवाएं वागनर ग्रुप दे रहा था, उनको खत्म नहीं किया जाएगा. विशेषज्ञों ने बीबीसी को बताया कि अफ़्रीका कॉर्प्स ने पश्चिम अफ़्रीका में वागनर की जगह ले ली है. टेलीग्राम पर, यूनिट ने भर्ती करने वालों को हर महीने एक लाख 10 हज़ार रूबल तक का वेतन देने और "जंग का लंबा अनुभव रखने वाले कमांडरों के मातहत सेवा देने का दावा किया जा रहा है."
पीआईएसएम ने बताया कि अफ़्रीका कॉर्प्स का इस्तेमाल वागनर के मुक़ाबले और भी ज्यादा खुले तौर पर किया जाएगा. इसका उद्देश्य अफ़्रीका में पश्चिमी और विशेष रूप से फ़्रांसीसी प्रभाव को कम करना है.
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