प्रमोद भार्गव Published on: October 10, 2019 1:07 AM गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के वनाधिकारी ने इस हिमखंड के टुकड़ों के चित्रों से इसके टूटने की पुष्टि की थी। ग्लेशियर वैज्ञानिक इन घटना की पृष्ठभूमि में कम बर्फबारी होना बता रहे हैं। इस कम बर्फबारी की वजह धरती का बढ़ता तापमान बताया जा रहा है। इससे हिमखंडों में दरारें पड़ गई थीं और इनमें बरसाती पानी भर जाने से हिमखंड टूटने लग गए। दक्षिणी धु्रव के बर्फीले अंटार्कटिका में हजारों साल से बर्फ के विशाल हिमखंड के रूप में मौजूद हिमखंड का एक भाग पिछले दिनों...
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के वनाधिकारी ने इस हिमखंड के टुकड़ों के चित्रों से इसके टूटने की पुष्टि की थी। ग्लेशियर वैज्ञानिक इन घटना की पृष्ठभूमि में कम बर्फबारी होना बता रहे हैं। इस कम बर्फबारी की वजह धरती का बढ़ता तापमान बताया जा रहा है। इससे हिमखंडों में दरारें पड़ गई थीं और इनमें बरसाती पानी भर जाने से हिमखंड टूटने लग गए। अभी गोमुख हिमखंड का बायीं तरफ का एक हिस्सा टूटा है। उत्तराखंड के जंगलों में हर साल लगने वाली आग ने भी हिमखंडों को कमजोर करने का काम किया है। आग और धुएं से बर्फीली शिलाओं के...
कुछ समय पहले आस्ट्रेलियाई वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में बताया था कि बढ़ते तापमान से बढ़े समुद्र के जलस्तर ने प्रशांत महासागर के पांच द्वीपों को जलमग्न कर दिया है। इन द्वीपों पर मानव बस्तियां नहीं थीं। दुनिया के नक्शे से गायब हुए ये द्वीप थे- केल, रेपिता, कालातिना, झोलिम और रेहना। पापुआ न्यू गिनी के पूर्व में यह सालोमन द्वीप समूह का हिस्सा थे। पिछले दो दशकों में इस क्षेत्र में समुद्र के जलस्तर में सालाना दस मिली की दर से बढ़ोत्तरी हो रही है। ग्रीनलैंड के पिघलते ग्लेशियर समुद्री जलस्तर को कुछ सालों...
बढ़ते तापमान के कारण अंटार्कटिका का हिमखंड टूटा तो अब है, लेकिन इसके पिघलने और बर्फ के कम होने की खबरें निरंतर आ रही थीं। यूएस नेशनल एंड आइस डाटा सेंटर ने उपग्रह के जरिए जो चित्र हासिल किए हैं, उनसे ज्ञात हुआ है कि एक जून 2016 तक यहां एक करोड़ दस लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में बर्फ थी, जबकि 2015 में यहां औसतन एक करोड़ सत्ताईस लाख वर्ग किमी क्षेत्र में बर्फ थी। सोलह लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में जो समुद्री बर्फ कम हुई है, यह क्षेत्रफल ब्रिटेनको छह बार जोड़ने के बाद बनने वाले क्षेत्रफल के बराबर है।...
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