यौन उत्पीड़न पर बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले की क्यों हो रही निंदा - BBC News हिंदी

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यौन उत्पीड़न पर बॉम्बे हाई कोर्ट के फ़ैसले की क्यों हो रही निंदा

महाराष्ट्र सरकार के पूर्व स्टैंडिंग काउंसिल निशांत कत्नेसवरकर मानते हैं कि इस संदर्भ और केस में हाई कोर्ट का यह आदेश ग़लत और अस्वीकार्य है. इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व एडीशनल सॉलिसिटर जनरल विकास सिंह मानते हैं कि हाई कोर्ट ने जो तर्क दिया है, उसमें दम नहीं है. इसके साथ ही पूर्व सॉलिसिटर जनरल और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मोहन पाराशरन का कहना है कि ये फ़ैसला मूल रूप से ग़लत लगता है. ट्विटर यूज़र अर्पिता भार्गव लिखती हैं, "मुंबई कोर्ट का आज जो फरमान आया है उससे तो यही साबित हो रहा है कि आज भी भारत में पुरुषवादी मानसिकता वाले लोग हैं और महिलाओं की बराबरी और आज़ादी सिर्फ कागज़ों तक ही रह गई हैं. भारतीय न्याय व्यवस्था पर शर्म है."

 

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बहुत गन्दा फैसला फैसला देने बाले जज कितना गन्दा इंसान होगा

जब तक चमड़ी से चमड़ी का संपर्क ना हो तब तक माननीय न्यायमूर्ति महोदया के अनुसार वो यौन-उत्पीड़न नहीं है। माननीय जी से एक आसान सा सवाल है कि कंडोम पहनकर सेक्स (महिला की सहमति के बिना भी) करने से चमड़ी का चमड़ी से संपर्क नहीं होता तो क्या उसे बलात्कार माना जायेगा या नहीं?

2 मेरी राय में शील भंग सनातन दर्शन में 2से ज्यादा अर्थात नागरिक उपस्थिति में ही सम्भव! और यहाँ तो सआशय योजना बद्ध सा वर्णन से प्रतीत!🙏

क्यों कि इससे अपराध की रोकथाम दूर बढावा मिलेगा यदि यह नजीर बनी तो यदि अमल हुआ नागरिक थोड़ा सोच समझ अपराध करेगा और बचा रहेगा! BHCनिर्णय पर अमल हुआ तो निर्दोष ही है अपराधी 2

Absolutely rong judgement

Kutta judge jiske hath m khujli ho ja k uss judge ko touch karo bina uski marji k

अनिच्छा नासमझी या बिना स्वीकृति के किया गया कोई भी अवांछित स्पर्श किसी भी महिला या बच्ची के व्यक्तित्व पर बलात्कार से कम नहि होता है

This decision is shame on justice and illogical. Intention and conspiracy are important in every case. if we think deeply clothes protect our dignity and symbols of civilization. Then skin to skin contact as sexual assault is frivolous and lame decision.

हम भ्रष्ट नेताओं, सरकार को बदलते रहे। लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोबारा किए गए फैसलों को निचली कोर्ट ने ही बदल दिया है, तो सोचो, ये जज खुद ही कानून, नियम तोड़ने वाले सबसे बड़े अपराधी बन गए हैं। अब सभी कोर्ट बिल्डिंग को अस्पताल में बदलने का समय आ चुका है। मेरा Pinned Tweet देखो

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