ये मैं हूं: मैं बीवी के कपड़े धो देता हूं, बच्चों के लिए खाना बना देता हूं, किसी पर धौंस नहीं जमाता, यही मेरी मर्दानगी है

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ये मैं हूं:मैं बीवी के कपड़े धो देता हूं, बच्चों के लिए खाना बना देता हूं, किसी पर धौंस नहीं जमाता, यही मेरी मर्दानगी है women WomenDay man bhaskarwithwomen

मर्द होने का मतलब क्या है? कमाना, बीवी पर नियंत्रण करना, आक्रामक होना, सुरक्षा करना, लीडर बनना और जीतना…ये सीख पुरुषों को बचपन से दी जाती है। ये सिखाने का काम हमारा स्कूल, परिवार, स्टेट और धर्म करता है। कहा जाता है कि ‘हमने चूड़ियां नहीं पहन रखीं’ तब हम आक्रामकता को बढ़ावा देते हैं।

मैं जिस शोषण विहीन और समता आधारित समाज की कल्पना कर रहा था वो सर्व सेवा संघ में रहकर पूरी नहीं होने वाली थी। बदलाव की छटपटाहट में मैंने 1992 में नैनीताल में चिराग संस्था में काम किया। यहां काम करते-करते समझ में आया कि हम महिलाओं के सशक्तीकरण की बात तो कर रहे हैं, लेकिन उनकी भूमिकाओं में बदलाव नहीं आ रहा है। भूमिका मतलब महिलाओं का अपने शरीर पर नियंत्रण, कमाई पर नियंत्रण। कमाई पर नियंत्रण तो नहीं बदला, मगर इस पर वर्कलोड ज्यादा बढ़ गया।मेरी लाइफ में टर्निंग पॉइंट आया जब मैं 1997 में स्त्री...

अगर पुरुषों पर काम करना है तो मर्दानगी को समझना होगा। ये मर्दानगी पुरुषों के समाजीकरण की प्रक्रिया से जुड़ी हुई है। कोई भी पुरुष अपने मां के पेट से हिंसक पैदा नहीं होता, वो समाज आकर हिंसा करना सीखता है। ऐसे पुरुषों को हिंसा न करना सिखाया जाना चाहिए। फिर हम लोगों ने पुरुषों पर काम करना शुरू किया।हमारे समाज में यह धारणा है कि पुरुष अगर कमाता नहीं है तो उसे निठल्ला कहा जाएगा, अगर वो घर में काम करता है और पत्नी की बात सुनता है तो समाज उसे मेहरा, बीवी का गुलाम और पता नहीं क्या-क्या विशेषण देगा। घर...

अब मर्दानी ताकत की दवाओं की मांग बढ़ गई है। अगर पुरुष अपनी यौनिकता को इतने संकीर्ण दायरे में सोचेगा तो वो मानव बन ही नहीं पाएगा। इसीलिए मैं कमला भसीन की बात अक्सर दोहराता हूं कि महिलाएं इसलिए नहीं बच रही हैं। क्योंकि पुरुष नहीं बच रहे हैं। पुरुष हिंसा को जी रहे हैं, उसमें खेल रहे हैं और इस सबका असर महिलाओं पर जाता है।

पुरुषों को फेल मैनेज करना सिखाया ही नहीं गया और जब वे फेल होते हैं तो सुसाइड कर लेते हैं। जबकि ये काम लड़कियों को बेहतर तरीके से आता है। अगर पुरुष व्यापार में जॉब में फेल हो गया या पत्नी छोड़कर चली गई तो वे सीधा आत्महत्या के बारे में सोचते हैं। पुरुष रिस्क लेकर अपनी मर्दानगी साबित करते हैं।मैंने महाराष्ट्र के 200 गांवों में करीब दो हजार पुरुषों के साथ काम किया और उनसे पूछा कि मर्दानगी के बारे में जानकर उनको क्या फायदा मिला तो वे कहते हैं,‘ सबसे बड़ा फायदा हमारे इंटिमेट रिलेशनशिप को...

 

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तो फिर बीबी जी सज धज कर महंगे मोबाइल द्वारा टिक टॉक पर लोगों का मनोरंजन ही करती होंगी 🤔🤔

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