उत्तर प्रदेश में पहली बार पंचायत चुनाव में राजनीतिक दल बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. इसमें सत्ताधारी बीजेपी से लेकर कांग्रेस, सपा, बसपा, अपना दल, आम आदमी पार्टी और AIMIM सहित तमाम विपक्षी पार्टियां अपनी किस्मत आजमाने की जुगत में है. यही वजह है कि गांव में किसी न किसी बहाने से पार्टी नेताओं ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, जिसे सूबे की सियासी तपिश बढ़ने लगी है.
यूपी चुनाव आयोग सूबे के पंचायत चुनाव को अगले साल मार्च में हर हाल में कराने की तैयारी में है. ऐसे में फरवरी के दूसरे या तीसरे हफ्ते में यूपी पंचायत चुनाव को लेकर अधिसूचना जारी की जा सकती है. ऐसे में मौजूदा ग्राम प्रधानों के कार्यकाल पूरे होने जाने के चलते ग्राम पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सहायक विकास अधिकारी को सौंपे जाएंगे, जिन्हें पंचायत सचिव सहयोग करेंगे. इस संबंध में सरकार ने तैयारी कर ली है.बीजेपी ने पंचायत चुनाव के लिए कमर कस ली है.
बीजेपी ने पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का ऐलान कर यूपी का सियासी तापमान बढ़ा दिया है. बीजेपी प्रवक्ता डॉ चन्द्रमोहन ने आजतक को बताया कि प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव पार्टी के लिए काफी अहम हैं. इसलिए बीजेपी ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में अपने अधिकृत उम्मीदवार उतारेगी. पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश भर में जिला संयोजक को नियुक्त किया गया है. इसके अलावा छह मंत्रियों को चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है.उन्होंने बताया कि चुनाव शब्द जिसमें भी जुड़ा है, उसे बीजेपी हर हाल में लड़ेगी.
वहीं, विपक्ष पंचायत चुनाव में अधिकृत उम्मीदवार के साथ उतरने की तैयारी में है. सपा ने जिला पंचायत चुनाव को पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है जबकि ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य के लिए अधिकृत प्रत्याशी उतारने को लेकर मन बनाया है. ऐसे ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि पार्टी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव तो पार्टी स्तर पर लड़ने का फैसला किया है, लेकिन ग्राम प्रधान और क्षेत्र पंचायत सदस्य का चुनाव पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ेगी.
बता दें कि यूपी में पंचायत चुनाव पार्टी सिंबल पर नहीं होते हैं. हालांकि, इन चुनावों में राजनीतिक दल समर्थित प्रत्याशियों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं. वहीं, अभी तक सिर्फ केरल और पश्चिम बंगाल में ही पंचायत चुनावों में राजनीतिक दल अपने सिंबल पर चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन फिलहाल देश के तमाम राज्यों में पार्टियां पंचायत चुनाव सिंबल पर लड़ने लगी हैं. हाल ही में राजस्थान में चुनाव निशान पर पार्टियों ने किस्मत आजमाई है.
बिके हुए चैनलों का एक एजेंडा है , बीजेपी को चुनाव जिताना ।
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