यूक्रेन को लेकर अमेरिका और रूस के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. इस बीच UNSC यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन संकट को लेकर चर्चा हुई. इसमें अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रूस के राजनयिक और भारत की तरफ से स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति के अलावा UNSC के सभी सदस्य देशों ने हिस्सा लिया.बैठक में ब्लिंकन ने अपने संबोधन के दौरान रूस पर सैन्य इरादों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया. वहीं रूस ने भी पलटवार करते हुए अमेरिका पर जमकर हमला बोला.
इसके जवाब में अमेरिका के विदेश मंत्री ने कहा कि रूस ने शांति और सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा किया है और हमारी जानकारी के अनुसार रूस आने वाले दिनों में यूक्रेन पर हमला कर सकता है. रूस का कहना है कि उसने अपनी सैन्य तैनाती घटाई है लेकिन जमीनी सच्चाई ये नहीं है. जानकारी के मुताबिक रूस की सेना आने वाले दिनों में यूक्रेन पर हमला करने की तैयारी कर रही है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में मिसाइल और बम हमलों के साथ साइबर हमलों से आक्रमण की शुरुआत होगी. उन्होंने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने संकेत दिया है कि रूस यूक्रेन के कुछ ग्रुप्स को भी निशाना बनाएगा. ब्लिंकन ने सुरक्षा परिषद के सदस्यों से कहा कि वह साफ कर देना चाहते हैं कि मैं यहां आज युद्ध शुरू करने नहीं बल्कि उसे रोकने आया हूं.वहीं रूस ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा कि अमेरिका और नाटो का एकमात्र लक्ष्य युद्ध भड़काना है जबकि रूस युद्ध नहीं चाहता है.
यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि तनाव बढ़ाने की कोशिशों से दोनों ही पक्षों को बचना चाहिए ताकि अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनी रहे.टीएस तिरुमूर्ति ने इस मुद्दे पर कहा कि ये विवाद सिर्फ बातचीत से सुलझ सकता है. भारत भी इस तनावपूर्ण स्थिति को तुरंत खत्म करने के पक्ष में है. जिससे पूरे इलाके में फिर से शांति और स्थिरता स्थापित की जा सके. यूक्रेन में बीस हजार से ज्यादा भारतीय रहते हैं, उनकी सुरक्षा भारत की पहली प्राथमिकता है.
यूक्रेन और रूस के बीच तनाव को लेकर विश्व युद्ध की आशंका पैदा हो गई है. दुनिया की दो बड़ी महाशक्तियों के बीच टकराव रोकने में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका और भी अहम हो जाती है.रूस-यूक्रेन संकट पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि हम हालात का राजनयिक और शांतिपूर्ण समाधान देखना चाहते हैं. भारत सभी संबंधित पक्षों के संपर्क में है और हमारा विचार है कि इस मुद्दे को केवल कूटनीतिक बातचीत से ही सुलझाया जा सकता है.
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