यादें...यूं ही नहीं फ्लाइंग सिख कहलाते थे मिल्खा सिंह

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यादें...यूं ही नहीं 'फ्लाइंग सिख' कहलाते थे मिल्खा सिंह MilkhaSingh

1958 के ओलंपिक में इतिहास रचने वाले धावक मिल्खा सिंह ने दूसरी बार 1960 के ओलंपिक में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। ये उनकी काफी चर्चित रेस रही। इस रेस में फ्लाइंग सिख कांस्य पदक से चूक गए थे। वे तब चौथे स्थान पर रहे मगर उनका 45.73 सेकंड का ये रिकॉर्ड अगले 40 साल तक नेशनल रिकॉर्ड रहा।

1958 ओलंपिक में हुए ऐतिहासिक जीत से ज्यादा लोगों को रोम ओलंपिक में मिली हार का गम था। इस ओलंपिक के दौरान मिल्खा सिंह का नाम अनजान था। मगर पंजाब के एक साधारण लड़के ने बिना किसी प्रॉपर ट्रेनिंग के दक्षिण अफ्रीका के मैल्कम स्पेंस को पछाड़ते हुए इतिहास रच दिया था। मिल्खा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल अपने नाम किया था।

कभी कभार जब उनसे 80 दौड़ों में से 77 में मिले अंतरराष्ट्रीय पदकों के बारे में पूछा जाता था तो वे कहते थे, 'ये सब दिखाने की चीजें नहीं हैं, मैं जिन अनुभवों से गुजरा हूं उन्हें देखते हुए वे मुझे अब भारत रत्न भी दे दें तो मेरे लिए उसका कोई महत्व नहीं है।' बता दें कि रोम ओलंपिक में मिल्खा सिंह पांचवीं हीट में दूसरे स्थान पर आए। क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल में भी उनका स्थान दूसरा रहा। मगर लोगों को उम्मीद तो पदक से थी, लेकिन वो ऐसा करने में नाकाम रहे। हालांकि, पदक हारने के बाद भी मिल्खा को दर्शकों का खूब साथ मिला। इससे पहले सारी दुनिया ये उम्मीद लगा रही थी कि रोम ओलंपिक में कोई अगर 400 मीटर की दौड़ जीतेगा तो वो भारत के मिल्खा सिंह होंगे।

 

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विनम्र श्रद्धांजलि

Bhagwan aapki ki aatma ko shanti de 😭 legends Milkha singh

ॐ शांति ॐ शांति ॐ शांति

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