29 अगस्त 1948 को डॉक्टर इलाही बख़्श ने जिन्ना की एक बार फिर जांच की.
डॉक्टर इलाही बख़्श लिखते हैं,"उस जवाब से मेरी उलझन और बढ़ गई और सोचा कि वो असल बात छुपा कर रखना चाहते हैं और जो वजह उन्होंने बताई है वो यूं ही टालने के लिए है. मैं सोचता रहता था कि क्या आज से 5 सप्ताह पहले उनका काम पूरा नहीं हुआ था और अब एकदम से पूरा हो गया है. मैं ये महसूस किए बिना ना रह सका कि कोई बात ज़रूर है जिसने उनकी जीने की इच्छा मिटा दी है."
"मेरी ये बात सुनकर मुस्कुराए. उस मुस्कराहट में मायूसी छुपी थी. उन्होंने कहा: नहीं ... अब मैं जिंदा रहना नहीं चाहता."डॉन अखबार के कवर ने जिन्ना की मौत के अगले दिन प्रकाशित कियाएक सितंबर 1948 को जिन्ना ने ज़ियारत से उस समय के पाकिस्तान नेवी के प्रमुख जनरल डगलस ग्रेसी के नाम एक पत्र लिखा जो बदकिस्मती से उनकी आख़िरी तहरीर साबित हुई.
उसी दौरान डॉक्टर इलाही बख़्श ने कराची से डॉक्टर मिस्त्री को भी क्वेटा बुलवा लिया मगर इसके बावजूद जिन्ना के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं हुआ. 11 सितंबर 1948 को जिन्ना को स्ट्रेचर पर डालकर उनके विशेष विमान वाइकिंग्स तक पहुंचा दिया गया. जब उन्हें विमान तक ले जाया जा रहा था तो स्टाफ़ ने उन्हें सलामी दी और फिर सब ये देख कर हैरान रह गए कि जिन्ना ने इस हालत के बावजूद फ़ौरन ही उनका जवाब दिया.क्वेटा से कराची तक की यात्रा 2 घंटे में पूरी हुई. इस दौरान जिन्ना बड़े बेचैन रहे. उन्हें बार-बार ऑक्सीजन दी जाती रही ये फर्ज़ कभी फ़ातिमा जिन्ना और कभी डॉक्टर इलाही बख़्श निभाते रहे.
गवर्नर जनरल के स्टाफ़ ने उन्हें स्ट्रेचर पर डालकर फौजी एंबुलेंस में लेटाया. फ़ातिमा जिन्ना और फ़िल्स डेलहम उनके साथ बैठ गई जबकि डॉक्टर इलाही बख़्श , डॉक्टर मिस्त्री और कर्नल जैफ्री जिनाह की कैडिलैक कार में सवार हो गए. फ़ातिमा जिन्ना और सिस्टर डेलहम बारी-बारी उन्हें गत्ते के एक टुकड़े से पंखा झूलती रही. हर लम्हा बड़ी मुश्किल में गुज़र रहा था.
क्या किसी को ये भी खबर नहीं थी कि उसी सुबह गवर्नर जनरल का विशेष विमान क्वेटा भेजा गया है और शाम में किसी भी समय वो राजधानी में आ सकते हैं? पाकिस्तान में भारत के पहले हाई कमिश्नर श्री प्रकाश ने अपनी किताब 'पाकिस्तान: क़याम और इब्तिदाई हालात' में भी इस घटना का उल्लेख किया है. उन्होंने लिखा है कि,"उन दिनों स्थानीय रेड क्रॉस के इंचार्ज जमशेद मेहता थे जिनकी इज़्ज़त कराची का हर व्यक्ति करता था. बाद में उन्होंने मुझे बताया कि मुझे शाम को संदेश मिला कि एक आदमी बहुत बीमार है. क्या आप उसके लिए एंबुलेंस भेज सकते हैं? ये घटना साढ़े पांच बजे शाम की है.
एक नंबर का मादरचोद आदमी था
'अगर अप्रैल 1947 में माउंटबेटन, जवाहरलाल नेहरू या महात्मा गांधी में से किसी को भी इस असामान्य राज का पता चल जाता तो...... शायद हिंदुस्तान का कभी बंटवारा ना होता और आज एशिया के इतिहास का धारा किसी और रुख़ पर बह रही होती.' नेहरू और गांधीजी को जिम्मेदार कहनेवाले कितने मूर्ख है?
ये जिन्ना तो अपर निकल गया लेकिन उसकी घटिया सोच वाले आज भी ज़िन्दा है और कुछ हमारे देश में भी नजर आ जाते हैं क्यूँकी गु तो बदबू ही मारेगा और जिन्ना एक गु था
जिन्ना ने पाकिस्तान कमरों में बैठे बैठे बना दिया था और गांधी जी बनाने राज़ी बजी हो गए
Jisne bhi diya achha kiya mar gaya sala, itna kya analysis karna..
इस हरामी के बारेमे पाकिस्तान की bbc मई post करना ।
Is gaddar suwar k bare me janna koi jaruri nahe hi
जिन्ना एक गधा था और बीबीसी उसका बच्चा
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