दुर्भाग्य से आर्थिक सुधारों का आरंभिक विरोध उस उद्योग जगत द्वारा किया गया, जिससे उसे ही लाभ होना था, कुछ वही कहानी कृषि सुधारों के मामले में भी दोहराई जा रही है। वह भी तब जब तीनों में से किसी भी कानून में एपीएमसी को समाप्त करने की बात नहीं। इन मंडियों का मामला पूरी तरह राज्य सरकारों के हाथ में है। जो किसान मंडियों में आढ़तियों के जरिये अपनी उपज बेचना चाहते हैं तो वे अब भी ऐसा कर सकते हैं। वहीं अगर उन्हें मंडियों से बाहर और अच्छी कीमत मिले तो वे वहां भी अपनी उपज बेचने के लिए स्वतंत्र हैं।ये आरोप...
8 फीसद तो हरियाणा की 3.
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