कई टिप्पणीकारों की तरह ही मैं यह जानने के लिए उत्सुक रहा हूं कि जो भारत में हो रहा है, उसे कैसे समझा जाए. औपनिवेशिक गुलामी से मिली आजादी के बाद काफी हद तक मजबूत रहे लोकतंत्र के निरंकुश और भ्रष्ट तानाशाही, जहां उग्र हिंदुत्व और ज़ेनोफोबिया यानी बाहरियों के प्रति द्वेष लगातार बना हुआ है, के पतन को लेकर मैं हैरान हूं.
यह क्रोनोलॉजी वर्तमान भाजपा शासन का 19वीं सदी के मध्य के उस महत्वपूर्ण कालखंड से जुड़ाव स्थापित करती है जिसमें ईस्ट इंडिया कंपनी ने क्वीन की 1858 की घोषणा के जरिये ब्रिटिश साम्राज्य के लिए रास्ता बनाया, जिसने भारत को अंग्रेजी हुकूमत के ताज में सबसे अनमोल रतन बना दिया. यहां यह याद करने की जरूरत है कि अंग्रेजों ने हिंदू धर्म में व्याप्त कुरीतियों, सती प्रथा, विधवा पुनर्विवाह और अन्य, के खिलाफ क़ानूनी कदम उठाकर खुद को हिंदू धर्म के सच्चे सुधारक के रूप में देखा. मोदी भी वैसे ही एक हिंदू सुधारक हैं जो हिंदू धर्म के स्त्रैण, तकनीकी विरोधी और सहिष्णु तत्वों के स्थान पर हिंदुत्व के पितृसत्तात्मक, विकासवादी और मर्दाना संस्करण को स्थापित करके धर्म का शुद्धिकरण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
वह कार्यकारी शक्तियों का लुत्फ उठाना पसंद करते हैं, चाहे वह ऐसा अधिकारियों से खुफिया जानकारी निकलवाने के जरिये करें या आयकर और प्रवर्तन प्राधिकरणों, सीमा शुल्क विभाग के जरिये या फिर भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से. ये सभी उनके आदेश पर उन्हें उनकी शाही सनक के अनुरूप नीति प्रणाली को तोड़ने-मरोड़ने की अनुमति देते हैं.
भारत की ब्रिटिश साम्राज्यिक व्यवस्था शाही राजकोष और लंदन के ब्रिटिश राज्य के खजाने के इशारों पर चलती थी, आज यही काम अर्थव्यवस्था के शीर्ष पर बैठे कुछ कुलीन और अभिजात वर्ग के भारतीयों की वैश्विक तिजोरियों और गिने-चुने खातों से होता है, जिन्हें खुशी से अपना कुछ काला धन भाजपा की चुनावी मशीन में खपा देने से कोई गुरेज नहीं है. दोनों ही मामलों में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था एक गुल्लक दिखाई देती है जिसे शासक की मांग पर भरा और खाली किया जाता है. विकास से इसका कुछ लेना-देना नहीं है.
सवाल उठता है कि मैं भाजपा शासन का एक उपनिवेशवादी शासन व्यवस्था के रूप में कैसे उल्लेख कर सकता हूं? वह इसलिए कर सकता हूं क्योंकि उनकी स्वयं की छवि और नजरिया हाल ही में अस्तित्व में आए उस प्रभुत्ववादी वर्ग से मेल खाता है, जिसे उसके उग्र हिंदुत्व से पहचाना जाता है. जो समाज के बहिष्कृत, अन्य धर्मों के विधर्मी और हाशिए पर पड़े लोगों को अपने प्रभुत्व के अधीन करने का पूर्ण अधिकार अपने पास रखता है.
इस परिप्रेक्ष्य में हिंदुत्व उस ब्रिटिश उपनिवेशवाद की कल्पना को साकार करता है जिसे कुछ श्वेत शासकों द्वारा थोपा गया था और अब भारतीय उपनिवेशवादियों द्वारा काल्पनिक हिंदू बहुमत के नाम पर क़ानूनी तौर पर इसे लागू किया जा सकता है.
विश्व गुरु
Bilkul jaise Angrejon ney futdalo aour raj karo ki nite apnake es deshme raj kiya thik waisehi aj ke saasak(bjp)aour uske Mukhiya(Modi)oos nite ko apnakr es desh ki jantako bewakuf bnarahi hai
क्या मोदीजी क्यों ऐसा चलाते हो देश BJP4India
मोदी से नफरत रखने वाले सूख कर कांटा हुए जा रहे हैं। मोदी के किसी कार्यक्रम या नीति की आलोचना करने की हिम्मत नहीं है। अपना खून सुखा रहे हैं मुफ्त के ऐशोआराम से वंचित रह गए। बेचारे!!
dahiya_jagvir IndiaPostOffice अपने भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देता है । IndiaPostOffice दोषी अधिकारी ( भ्रष्टाचार से संबंधित रिकार्ड गायब करने वाले ) पर कार्रवाई अदालती फैसले के बाद करने बारे लिखता है। जबकि किसी भी न्यायालय द्वारा दोषी अधिकारी SSPOKARNAL पर कार्रवाई करने पर रोक नहीं लगाई।
आप को तो जलन होगा ही
ब्रिटिश राज के साक्षात वंशज तो कांग्रेस और वामपंथी,इस्लामिस्ट है,मोदी तो भारतीय सभ्यता के वंशज है।
Jehadi kiske vanshaj hain
जुमला के बारे में क्या खयाल है।
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