आफ़रीन फ़ातिमा जेएनयू में काउंसलर हैं. 2018-19 में वह अलगीढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी वीमेंस कॉलेज की प्रेसिडेंट रह चुकी हैं. वह कहती हैं कि समुदाय की महिलाओं की जागरुकता के पीछे तीन तलाक़ और बाबरी मस्जिद के फ़ैसलों की भी भूमिका है. फ़ोन पर उनकी आवाज़ थकी हुई लगती है और वह ख़ुद डरी हुई भी.
21 साल की फ़ातिमा के सामने अनजान भविष्य का डर है. हालांकि नागरिकता संशोधन क़ानून और नेशनल रजिस्टार ऑफ सिटीजंस के प्रभाव में आने से समुदाय की महिलाओं को मुख्य धारा में तो ला दिया है. फ़ातिमा को उनके परिवार वालों ने कभी हिजाब पहनने को नहीं कहा और फातिमा ने 2019 तक हिजाब पहना भी नहीं. उन्होंने पहली बार इसे तब पहना जब तबरेज़ अंसारी की मॉब लिंचिंग की ख़बर सुर्ख़ियों में आई थी.
सज्जाद कहते हैं,"मुस्लिम महिलां नागरिकता के मुद्दे पर संघर्ष कर रही हैं और इस लिहाज से वे अल्पसंख्यक नहीं है. वे अपनी पहचान के साथ बाहर निकल रही हैं. वे आत्मविश्वास से भरी हुई हैं, स्पष्ट और मुखर हैं." सज्जाद कहते हैं,"महिलाएं सरकार के नैतिक बल को चुनौती दे रही हैं. यह पुलिस की बर्बरता से पार पाने की रणनीति का भी हिस्सा है."आएशा और तूबा को मौज मस्ती के लिए तैयार ख़ुशमिजाज लड़कियां माना जाता था लेकिन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की इन दोनों बहनों की पहचान क्रांतिकारी लड़कियों की बन चुकी है. इन दोनों का कहना है कि ये समय की मांग है.
विद्यालय को कुरूक्षेत्र , , हाफिज के छात्र बनाये हैं। डॉ० कलाम के छात्र, वैज्ञानिक बनेगें ?
कोख से आतंकी निकलते है तो आंचल से जिहाद ही निकलेगा
उन मूस्लिम लड़कीयो से पुछिये कि पाकिस्तान से आये मूस्लमानो के साथ अत्याचार हुआ है आज जिस तरह पाकिस्तान ने भारतीय मजदूरो को देश वापसी की बात की है उससे ये ही अन्दाजा लगाया जा सकता है कि भारत के मूस्लमानो के तार पाकिस्तान जैसे देशो से जुडे हुए है भारत मे इस्लाम के लिये जगह नही हैै
आँचल के नीचे मुसलमानो को ही तकलीफ़ है बस यही लगता है मुसलमान ही दंगे और और आतंक फैलाये दुनिया में आतंकियों के पनाहगार बार बार UN दौड़े आतंक के प्रचार में
पाकिस्तान में भी हिन्दू लड़कियों को आँचल की छाँव दे दो। या फिर काफिरों की जिन्दगी की कोई कीमत नहीं है?
आंचल बोल आंचल का अपमान कर रहे हो। आंचल प्यार पति, बच्चों और भाईचारे के लिए होता है।इन विद्रोहियों ने इसे स्कार्फ नाम दिया है जो आयशा रीना जैसी देश द्रोही पहनती हैं।
अफ़वाह फैला दी गयी कि मुस्लिमों को भारत के बाहर भेज दिया जाएगा, जिसने दूसरी अफ़वाह कि मुस्लिम डरा हुआ है, मुस्लिमों को डराया जा रहा है, भारत असहिष्णु हो गया है सबकी हवा निकाल दी....
चिंकी सिन्हा तथ्य बताने की जगह अपनी विचारधारा व्यक्त कर रहे हैं। मुद्दों पर तो बिल्कुल भी बात नहीं की। बीबीसी हिंदी की पत्रकारिता को धिक्कार है।
जल्द ही जब कोई इस आंचल मे फटेगी तब देखते है तुम क्या कहते हो
इन लोगों का प्रदर्शन करना ये दर्शाता है कि भारत कितना आज़ाद है यहाँ हर किसी को प्रदर्शन करने कि छूट है चाहे वो सही हो या गलत क्या किसी और देश में ऐसी आज़ादी है कोई तो बताए
gobackbjp NRC_CAA_Protest
57 देश मुस्लिम है 👍
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