माहवारी के उत्पादः कहीं है किल्लत तो कहीं है असमंजस | DW | 19.02.2022

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आज माहवारी से सुविधाजनक ढंग से निपटने के बहुत सारे विकल्प मौजूद हैं. लेकिन दुनिया में कई इलाकों की औरतों के पास विकल्प के नाम पर अभी सिर्फ चीथड़े ही हैं.

माहवारी की असुविधाओं से निजात दिलाने के लिए संपन्न देशों में डिस्पोजेबल टैम्पूनों और पैडों की भरमार पिछली सदी में हो चुकी है. लेकिन ये उत्पाद सुविधाजनक तो हैं लेकिन मुकम्मल नहीं हैं. मासिक वेतनभोगियों के लिए इन उत्पादों की मासिक लागत महंगी हो सकती है. ये उत्पाद आखिरकार कचरे में फेंक दिए जाते हैं. इस तरह ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. ब्रिटिश शोधकर्ताओं के मुताबिक एक सामान्य गैर-ऑर्गेनिक पैड को पूरी तरह नष्ट होने में 500-800 साल लग जाते हैं.

डिस्पोजेबल पीरियड उत्पादों के सबसे जानेमाने विकल्पों में माहवारी कप भी आते हैं. वे दोबारा इस्तेमाल हो सकते हैं और दस साल तक चल जाते हैं. एक लोकप्रिय ब्रांड है डिवाकप. उसकी वेबसाइट के मुताबिक उसे 12 घंटों तक लगातार पहने रखा जा सकता है. और पानी और साबुन से धोकर दोबारा पहना जा सकता है. पीरियड डिस्क को माहवारी कप की तरह अंदर डाला जाता है लेकिन टैम्पूनों की तरह वे डिस्पोजेबल हैं. कप या टैम्पूनों से उलट डिस्क, सर्विक्स यानी गर्भाशयग्रीवा पर लगाई जाती है और योनि में जाने से पहले खून उसी डिस्क में उतर जाता है. इससे झंझट-मुक्त संभोग भी संभव है. अभी तक, ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिनसे ये पता चलता हो कि डिस्क के उपयोग से भी टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम हो सकता है.

वो कहती हैं कि स्पंज के आकार से भी योनि में चोट आ सकती है. क्योंकि वो क्षैतिज ढंग से फैलता है ना कि ऊर्ध्वाकार ढंग से. उसे हटाने के दौरान समस्या आ सकती है. यूरोप में टैम्पून, एप्लीकेटरों या रैपरों के बिना बिकते हैं. गत्तों की पैकिंग में आते हैं जिनसे कचरा कम होता है. दुनिया के दूसरे हिस्सों में टैम्पूनों का इस्तेमाल बहुत ही कम होता है. अध्ययन बताते हैं कि बाज मौकों पर तो इसकी वजह सांस्कृतिक होती है- उन्हें गंदा या अशुद्ध माना जाता है या स्त्री कौमार्य को भंग करने वाला समझा जाता है- कई जगहें ऐसी है जहां इसका इस्तेमाल न करने की वजहें आर्थिक होती हैं.

 

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