हमारे दौर के सर्वाधिक चर्चित लिक्खाड़ों में से एक मनोहर श्याम जोशी पर लेखक प्रभात रंजन की एक संस्मरणात्मक किताब 'पालतू बोहेमियन' नाम से आई है. पुस्तक में लेखक ने मनोहर श्याम जोशी के जीवन के ऐसे छिपे हुए पहलुओं को लाने की सफल कोशिश की है, जिन्हें पाठक जानना चाहते हैं.
पुष्पेश पंत ने पुस्तक की भूमिका में लिखा है कि हिंदी में ऐसे लेखक अधिक नहीं है जिन की रचनाएं आम पाठकों और आलोचकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय हों. ऐसे लेखक और भी कम है जिनके पैर किसी विचारधारा की बेड़ी से जकड़े ना हों. मनोहर श्याम जोशी ऐसे ही अपवाद हैं, जो एक साथ एक ही समय पारंपरिक और आधुनिक दुनिया में निवास करते अपने पाठकों का मनोरंजन और विचारोत्तेजन करते हैं. जितनी विधाओं में उन्होंने लेखन किया है, वह भी विस्मित करने वाला ही लगता है.
प्रसंगवश, जोशी जी भी बोलकर लिखवाते थे. उन्होंने एक युवक को टाइपिंग के लिए बाकायदा नौकरी पर रखा था. शंभूदत्त सती नामक वह व्यक्ति 90 के दशक में उनके यहाँ काम के लिए आया था. उन दिनों जोशी जी 'हमराही' धारावाहिक लिख रहे थे. तब से लेकर आखिरी फिल्म 'हे राम' तक वही उनके लिए टाइप करने का काम करते रहे. 90 के दशक के आखिरी वर्षों में जब मैंने अशोक वाजपेयी के साथ काम करना शुरू किया तो देखा कि वे भी रोज सुबह टाइपराइटर पर लिखा करते थे. उन दिनों हिन्दी के बहुत कम लेखक खुद टाइपराइटर पर लिखते थे. यह टशन था उन दिनों का.
उसके बाद कुछ देर रुकते हुए उन्होंने कहा, एक बात बताऊँ, जोशी का पहला उपन्यास ‘कुरु-कुरु स्वाहा...' और 'कसप' बहुत सुगठित है. दोनों उसने हाथ से लिखे थे.' कहने के बाद वे फिर से लिखने में लग गए. खैर, मुझे ऐसा लगता है कि कमलेश्वर जी की हस्तिलिपि इतनी सुन्दर थी कि हो न हो, वे उसी मोह में हाथ से लिखते रहे हों!
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »