जिसमें लिखा था, ‘अति संवेदनशील मनसुख हिरेन मर्डर केस की गुत्थी सुलझी. मैं अपने पूरे एटीएस पुलिस फ़ोर्स के सभी साथियों को दिल से सैलूट करता हूं जिन्होंने पिछले कई दिनों से रात-दिन एक कर के इस केस में न्याय पूर्ण तरीके से परिणाम निकाला. ये केस मेरे पुलिस कैरियर का अब तक का सबसे जटिल केस में से एक रहा.’
उन्होंने कहा कि शनिवार देर रात गिरफ्तार दोनों आरोपियों की पहचान पुलिसकर्मी विनायक शिंदे और सट्टेबाज नरेश गौर के रूप में हुई है.उन्होंने बताया कि शिंदे 2006 के लाखन भैया फर्जी मुठभेड़ मामले का दोषी है और वह पिछले ही साल फर्लों पर जेल से रिहा हुआ था. उसके बाद से ही शिंदे वझे के संपर्क में था. जांच के अनुसार, उस दिन रात करीब 11 बजे जब विमला और उनके बेटों ने हिरेन को फोन करने की कोशिश की तो उसका फोन बंद जा रहा था.
उन्होंने कहा, ‘एटीएस जांच कर रही है कि मुख्य षड्यंत्रकारी कौन है. दोनों आरोपियों को मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को एटीएस मुख्यालय बुलाया गया था, बाद में उन्हें गिरफ्तार किया गया.’ यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मामले को एनआईए को सौंपे जाने के बाद भी वे कैसे जांच कर रहे हैं, एटीएस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें अभी तक मामले के ट्रांसफर का औपचारिक आदेश नहीं मिला है.एटीएस के एक सूत्र ने कहा कि मामले में मिले तकनीकी सबूतों पर गौर और शिंदे दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है. कच्छ निवासी गौर ने गुजरात से अवैध रूप से आठ सिम कार्ड खरीदे और शिंदे को दिए. शिंदे ने मध्यस्थ के रूप में काम किया और वझे को सिम कार्ड सौंप दिए.
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