मध्य प्रदेश: क्या सरकारी अव्यवस्थाओं के चलते कोविड से अधिक जानलेवा साबित हो रहा है ब्लैक फंगस

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ग्वालियर की 43 वर्षीय रमा शर्मा अप्रैल के आखिरी दिनों में कोरोना संक्रमित पाई गई थीं. ऑक्सीजन लेवल गिरने पर उन्हें अंचल के सबसे बड़े अस्पताल जयारोग्य में भर्ती कराया गया.

इंदौर के बॉम्बे हॉस्पिटल में न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आलोक मांडलीय बताते हैं, ‘यह संक्रमण पहले उन लोगों को होता था जो एचआईवी ग्रस्त हों, जिनकी डायबिटीज अनियंत्रित हो या जिनका अंग प्रत्यारोपण हुआ हो लेकिन अब मामले इतने ज्यादा बढ़े हैं कि जितने पूरे देश में निकलते थे, उतने एक शहर में निकल रहे हैं.’ ये बीजाणु कैसे जानलेवा साबित होते हैं, इस पर डॉ. आलोक कहते हैं, ‘फंगस वातावरण में हर जगह मौजूद है जो नाक के जरिये साइनस पर हमला करता है. वहां अपनी कॉलोनी बनाकर बढ़ता है. साइनस की हड्डी को नुकसान पहुंचाता है. फिर आंख की ओर बढ़ता है. आंख की दूसरी तरफ व नसों पर दबाव डालता है और आदमी को दिखना बंद हो जाता है. आंखें तक बाहर आ जाती हैं जिन्हें शरीर से निकालना पड़ता है. ऐसा न करने पर फंगस दिमाग की ओर बढ़ता है और खून सप्लाई करने वाली नसों पर हमला करके पैरालिसिस अटैक लाता है.

चिकित्सकों के अनुसार, ऑपरेशन के बाद मरीज तभी जीवित रह सकता है जब उसे एंफोटेरेसिन-बी की निर्धारित मात्रा मिले. न मिलने पर मौत निश्चित मानिए. कमलेश के चेहरे और आंखों की बढ़ती सूजन देखकर किसी को समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा क्यों हो रहा है? तभी परिजनों ने अखबार में ब्लैक फंगस की खबर पढ़ी. तुरंत वे कमलेश को लेकर विदिशा भागे.

पहली बार ब्लैक फंगस पर कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 12 मई को भोपाल व जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में 10-10 बिस्तर की दो यूनिट खोलने का ऐलान किया. दो दिन बाद इंदौर, रीवा और ग्वालियर के लिए भी यही घोषणा हुई. उदाहरण के तौर पर, बुधवार को भोपाल के निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों के लिए 80 इंजेक्शन बांटे गए जबकि उसी समय करीब 75 मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती थे. यानी जरूरत 450 इंजेक्शन की थी. नतीजतन, मरीजों के परिजनों ने हंगामा कर दिया तो पुलिस बुलानी पड़ी.

जांचों में हेर-फेर करके कोरोना पर जीत का डंका बजा रही शिवराज सरकार की ब्लैक फंगस पर सजगता ऐसे समझें कि खबर लिखे जाने तक उसके पास आंकड़े ही नहीं थे कि राज्य में इसके कितने मामले सामने आ चुके हैं, अस्पतालों में कितने मरीज इलाजरत हैं और कितनी मौतें हुई हैं?को बताया कि वे हर दिन अस्पतालों में फोन करके मरीजों की जानकारी जुटाते हैं. इन जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 700 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.

मेडिकल कॉलेज में इंजेक्शन की उपलब्धता संबंधी विश्वास सारंग के दावों की पोल उसी दिन खुल गई. भोपाल के हमीदिया अस्पताल में भर्ती अज़ीम के परिजनों को डॉक्टर्स ने इंजेक्शन बाजार से लाने के लिए पर्ची थमा दी. उन्हें बाजार में केवल दो ही इंजेक्शन मिले.

 

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