स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ हत्याकांड की वजह दोनों पक्षों के बीच पुरानी रंजिश है. यह रंजिश एक मठ की ज़मीन को लेकर है. इस पर मठ के महंत का क़ब्ज़ा था.
सीपीआई के राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल कहते हैं, "हमने अपनी जाँच में पाया है कि अभियुक्त पक्ष के लोगों ने महंत के बेटे की गुमटी से गुटखा ख़रीदा, लेकिन पैसे देने से इंकार कर दिया. इस बात पर लड़ाई हुई. इसके थोड़ी देर बाद अभियुक्तों की ओर से दो दर्जन से अधिक हथियारबंद अपराधियों ने महंत के परिजनों पर हमला कर दिया."मधुबनी हत्याकांड के पीडितों के परिवार की तस्वीरें और वीडियो इस वक़्त सोशल मीडिया पर वायरल हैं. उनमें तीन सहोदर भाइयों समेत परिवार के पाँच सदस्यों की हत्या से समूचा परिवार ग़मगीन है.
पीडितों के परिजनों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन अभियुक्तों को हमेशा से संरक्षण देता आया है क्योंकि उनकी राजनीतिक पैठ बहुत ज़्यादा है. स्थानीय पत्रकार विजय कुमार कहते हैं, "प्रवीण झा बजरंग दल के ज़िलाध्यक्ष हैं और 'रावण सेना' नाम से एक स्थानीय संगठन भी चलाते हैं. यह संगठन कथित रूप से ब्राह्मणों के हित की बात करता है. वे राजनीतिक रूप से काफ़ी सक्रिय हैं."
सुनील सिंह कहते हैं, "साल 1993 में भी मठ के महंत की हत्या उन लोगों ने कर दी थी. तब भी कुछ नहीं हुआ. इस बार तो महंत के पूरे परिवार को ही उजाड़ दिया गया. फिर भी कुछ नहीं हो पा रहा है. मैं पीड़ितों से दो बार मिलकर आया. हमारे करणी सैनिक वहां लगातार जमे हुए हैं ताकि पीड़ितों को अकेला न होने दें. उन्हें अब भी जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं. मुख्य अभियुक्त खुलेआम घूम रहा है क्योंकि स्थानीय विधायक उसके साथ हैं.
हत्याकांड की जाँच में पुलिस की लापरवाही और अभियुक्तों को संरक्षण देने के आरोपों पर मधुबनी एसपी डॉ सत्य प्रकाश कहते हैं, "लापरवाही के आरोप में बेनीपट्टी के थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है. हमने घटना की रात ही एसआईटी का गठन कर जाँच शुरू कर दी थी. उसी रात आठ अभियुक्तों को गिरफ़्तार भी कर लिया गया था. अब यह मामला इतना बड़ा बन चुका है कि किसी को संरक्षण देने का कोई सवाल ही नहीं रह जाता.
Pandit kab se chhatriye ho gaya ghor anarath hai is kalyug me .
Hii
इसे बेखौफ आपराधिक कुकृत्य मान कर कारवाई करनी चाहिए न कि बिहार सरकार को अपनी अक्षमता छुपाने के लिये इसमे विपक्ष की साजिश और भूमिका तलाशनी चाहिए.
बिहार में इस तरह के घटनाओं पर सत्ता पक्ष की रहस्यमय चुप्पी शर्मनाक और कानून व्यवस्थाओं के मामले बिहार के पूर्व परंपराओं के अनुरूप ही है. इसमे में विपक्ष की साजिश औऱ भूमिका तलाशना असंतोष और आक्रोश पैदा करेगा जो भविष्य के दूसरे नरसंहार की पृष्ठभूमि बनेगा.
Bihar bleeds again. It's shame & unfortunate to see the caste & politices in such incidents. Its a straight away case of lawlessness & fearless criminals, who dare to kill five persons, in broad day light on the day of Holi Festivals
हिंदू अभी तक खतरे में नही आया मधुबनी में QK टोपीवाला ऐंगल नही मिल पाया अंडभगतो & गोदीपतलकारों को
मधुबनी मामले को विपक्ष जातिवाद से जोड़कर बिहार में एकबार फिर घृणा का माहौल बनाने की साजिश कर रहा है।
योगी माॅडल बिहार आ गया।
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