भास्कर एक्सप्लेनर:अमेरिकी चुनाव के नतीजे तय करेंगे दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी का भविष्य, जानिए कैसे?

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Donald Trump Vs Joe Biden; Know Why US Exit From Paris Agreement Will Impact On Climat Change Efforts | US Presidential Elections 2020अमेरिकी चुनाव के नतीजे तय करेंगे दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी का भविष्य, जानिए कैसे?ट्रम्प जीते तो अमेरिका शुरू करेगा पेरिस एग्रीमेंट से बाहर निकलने की प्रक्रियापूरी दुनिया में क्लीन और ग्रीन एनर्जी को लेकर चल रहे प्रयासों को लगेगा झटका

दशकों तक बातचीत के बाद दुनिया के 197 देश इस बात को लेकर सहमत हुए थे कि वे धरती का तापमान बढ़ाने वाली गैसों का उत्सर्जन कम करेंगे। चुनिंदा देशों ने ही डील से दूरी बनाई थी। एक्सपर्ट्स को लगता है कि पेरिस एग्रीमेंट में टारगेट्स बहुत कम रखे हैं, लेकिन दुनिया के ज्यादातर देशों को एक बात के लिए राजी करना इतना आसान नहीं था।

पेरिस एग्रीमेंट के बाद भी दुनिया मौजूदा स्पीड से 3 डिग्री सेल्सियस तक गर्म होने की राह पर है। क्लाइमेट चेंज की वजह से परेशानियां सामने आने लगी हैं। यदि अब भी गंभीर प्रयास नहीं किए तो और तेज लू चलेगी, समुद्र का स्तर बढ़ेगा और बड़े शहरों में बाढ़ का सामना करना होगा। सरकारों को हर मौसम की तीव्रता का सामना करने के लिए तैयार होना होगा।यदि पृथ्वी का तापमान 2 डिग्री सेल्सियस से बढ़ गया तो क्या होगा?समुद्र का जलस्तर 56 सेमी या 2 फीट बढ़ जाएगा।37% आबादी को हर पांच साल में तेज लू का सामना करना...

जीतने पर ट्रम्प को बतौर प्रेसिडेंट फिर से चार साल मिल जाएंगे और वह क्लाइमेट चेंज के लिए ग्लोबल लेवल पर चल रही कोशिशों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। वैज्ञानिक कह रहे हैं कि जल्द से जल्द उपाय करने की जरूरत है और अगर अभी नहीं संभले तो देर हो चुकी होगी।अमेरिका ने अब तक पेरिस एग्रीमेंट पर क्या किया है? क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर के एनालिसिस के मुताबिक, अमेरिका ने जो वादा किया है, वह भी काफी नहीं है। यदि सभी देश उतना ही करें, जितना अमेरिका कर रहा है तो भी आने वाले वर्षों में पृथ्वी का तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस बढ़ने से कोई नहीं रोक सकेगा।बाइडेन ने पहले ही साफ किया है कि वे जल्द से जल्द पेरिस एग्रीमेंट जॉइन करेंगे। इसमें भी 30 दिन का वक्त लग ही जाएगा। पूर्व वाइस-प्रेसिडेंट ने महत्वाकांक्षी क्लाइमेट प्लान बनाया है, लेकिन उस पर कांग्रेस की मंजूरी की जरूरत...

 

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