भविष्य के लिहाज से अपनी चौहद्दी दुरुस्त करने में जुटे बिहार के दल, छोटी पार्टियों की बढ़ेगी अहमियत

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भविष्य के लिहाज से अपनी चौहद्दी दुरुस्त करने में जुटे बिहार के दल, छोटी पार्टियों की बढ़ेगी अहमियत biharpolitics NitishKumar lalansingh TejaswiYadav

उत्तर प्रदेश की तरह बिहार में भी कई प्रयोग हो चुके हैं- पहले राजग गठबंधन, फिर महागठबंधन और फिर से राजग की सरकार... बिहार की सियासत में देखा जाए तो भाजपा, जदयू और राजद मुख्य खिलाड़ी रहे हैं जबकि छोटे दलों का खेमा बदलता रहा है। मौजूदा वक्‍त में देखें तो गठबंधन सही चल रहा है लेकिन धीरे-धीरे इन तीनों प्रमुख दलों ने अपनी चौहद्दी जिस तरह मजबूत करनी शुरू की है वह भविष्य की आहट देने लगा है।

नीतीश कुमार जहां खुद मुख्यमंत्री हैं। जदयू के प्रदेश संगठन की कमान वशिष्ठ नारायण सिंह की जगह उमेश कुशवाहा के हाथों में दी गई थी। अब पहली बार राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद अगड़ी जाति से राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को सौंपी गई। भाजपा ने चुनाव से पहले संजय जायसवाल के हाथों संगठन की कमान दी थी और उपमुख्यमंत्री पद पर अति पिछड़ी जाति की रेणु देवी और ओबीसी से आने वाले तारकिशोर प्रसाद को बिठाया था।

 

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