ब्राज़ील: इस 'अंतिम योद्धा' की विरासत को लेकर इतनी चर्चा क्यों है - BBC News हिंदी

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ब्राज़ील: इस 'अंतिम योद्धा' की विरासत को लेकर इतनी चर्चा क्यों है

इन समुदायों की पितृसत्तात्मक व्यवस्था के अनुसार, अरुका के पोते और उनके पर-पोते ही अपने नाम के साथ उनके नाम का प्रयोग कर सकते हैं. यानी उन्हें ही जुमा समुदाय का हिस्सा माना जाता है, ना कि उनकी मांओं के परिवार को.अरुका के नातियों ने तय किया है कि वे अपनी पहचान उरु-वे-वाऊ-वाऊ समुदाय के साथ-साथ जुमा समुदाय के सदस्य के तौर पर भी बनाए रखेंगे.

ब्राज़ील के आदिवासी समुदायों पर काम करने वाली कार्यकर्ता इवानइडे बानदेरा कहती हैं कि अंतिम जुमा पुरुष की मौत के बाद, किसी अन्य समुदाय के पुरुषों द्वारा जुमा सरनेम का इस्तेमाल, इन पितृसत्तात्मक समुदायों में अब से पहले कभी नहीं देखा गया. वे कहती हैं कि यह एक बड़ा बदलाव है. जानकार कहते हैं कि 1964 में रबर के तस्करों ने दर्जनों जुमा पुरुषों को मौत के घाट उतार दिया था. ऐसी कई घटनाएं सरकारी रिकॉर्ड्स में भी दर्ज हैं.

अरुका के नाती बिटाटे, बानदेरा के आरोपों को सही ठहराते हैं. वे कहते हैं, "हम शहरों से दूर रहते हैं. यहाँ पहुँचने के लिए यात्रा करनी पड़ती है. ऐसे में महामारी को यहाँ तक पहुँचने से रोका जा सकता था. लेकिन सरकार ने इस बात का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा. यह निश्चित रूप से सरकार की नाकामी है."बिटाटे मानते हैं कि सरकार अरुका तक कोरोना संक्रमण को पहुँचने से रोक सकती थीब्राज़ील सरकार के अनुसार, कुल 8 लाख 96 हज़ार 900 आदिवासी लोगों में से 572 लोगों की मौत अब तक कोविड-19 से हुई है.

 

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आजकल की सरकारे सिर्फ अपनी सत्ता बचाने की सोचती है। उन्हे जनता से क्या मतलब 😖😖😖

RajatSharmaLive तुम महंगाई,बेरोजगारी,गिरती GDP,बढते निजीकरण या देश की दूसरी समस्याओ को लेकर कभी मोदी सरकार से सवाल नही करते, हमेशा विपक्ष को टारगेट करते हो।यदि अगले जन्म मे तुम्हारे पिता भाजपा के विरूद्ध चुनाव लडे और तुम्हे पिछला जन्म याद रहा तो क्या अपने पिता का घर छोड़ दोगे ?

Rip.

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