नीतीश कुमार के इस कथन का साफ अर्थ यह निकाला जा रहा है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर फिलहाल भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व बहुत जल्दी में नहीं है. इसलिए नीतीश मंत्रिमंडल का विस्तार रुका हुआ है. हालांकि भाजपा ने विधानसभा की समिति में अपने कई पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों जैसे नंदकिशोर यादव या विनोद नारायण झा को अध्यक्ष बनाकर उनके मंत्री बनने की संभावना खत्म कर दी हैं.
वहीं जनता दल यूनाइटेड ने भी अपने कुछ वरिष्ठ नेता जैसे नरेंद्र नारायण यादव और दामोदर रावत को भी विधानसभा समितियों में संयोजक बनाकर साफ कर दिया है कि अब वह नए लोगों को मौका देने वाला है.हालांकि माना जा रहा है कि भाजपा और नीतीश के बीच मंत्रिमंडल में किसको कितना प्रतिनिधित्व मिलेगा, इसको लेकर कोई कोई कन्फ़्यूज़न नहीं है. लेकिन राज्यपाल कोटे से जिन बारह सदस्यों का मनोनयन होगा उसमें बदली हुई राजनीतिक परिस्थिति में किसको कितना मिलेगा यह अभी भी विवाद का एक कारण है.
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