सिवान: बिहार की सिवान लोकसभा सीट पहले बीजेपी के खाते में था। 1989 में यहां से पहली बार बीजेपी के जनार्दन तिवारी सांसद चुने गए थे। बिहार में बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन होने के बाद यह सीट जेडीयू के खाते में चली गई। 1999 से अब तक सीवान लोकसभा से जेडीयू के उम्मीदवार चुनाव लड़ते आ रहे हैं। लेकिन खास बात यह है कि जेडीयू ने अब तक किसी भी उम्मीदवार को दोबारा टिकट नहीं दिया है। ऐसे में चुनाव मैदान में उतरा जेडीयू का हर उम्मीदवार आगे की राजनीतिक सफर के लिए सोचने पर मजबूर हो जाता है।शहाबुद्दीन के खिलाफ...
स्वास्थ्य कारणों के आधार पर वे सिवान के सदर अस्पताल में रहने लगे। यहीं उनकी दरबार लगती थी। यह शहाबुद्दीन के जीवन का आखिरी चुनाव था। इसमें वे जीत भी गए। शहाबुद्दीन को तीन लाख 17 हजार 511 मत मिले थे। जबकि ओमप्रकाश यादव को दो लाख 13 हजार 933 वोट मिले थे। इस बीच 2005 में बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बन गई। कई मामलों में शहाबुद्दीन को सजा भी हुई। जिसके बाद उनके चुनाव लड़ने पर भी रोक लग गई। शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब को निर्दलीय ने हरायाराजनीति के मैदान में कभी हार का शक्ल नहीं देखने वाले...
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