लेखक अश्विन सांघी कहते हैं कि मैं लगातार किताबें लिख रहा हूं. पहले माइथोलॉजिकल किताबें लिखीं. फिर क्राइम फिक्शन. लेकिन मैं हमेशा से लेखक नहीं रहा हूं. मैंने कॉलेज या स्कूल में कभी दो पन्ने से ज्यादा कुछ नहीं लिखा. लेकिन एक दिन मेरे बनिया दिमाग में आया कि मेरे पास कहानी है. फिर मैंने अपने पब्लिशर दोस्त को फोन करके पूछा कि मैं लिखना चाहता हूं. तो उसने कहा कि दिमाग खाली है तो कुछ भी लिख लो.
मैंने लिखा लेकिन दो साल तक वह किताब प्रकाशित नहीं हुई. मेरी किताब 47 बार रिजेक्ट हुई. लेकिन इस दौरान मैं सीख गया कि मुझे हार का सामना कैसे करना है. ये बेहद आसान हो जाता है जब आप खुद के हार के बारे में बात करते हैं. ये कहानियां सुनाई लेखक अश्विन सांघी ने. अश्विन बिजनेस टुडे के डिगिंग फॉर गोल्ड- लेसंश फ्रॉम माइथोलॉजी सेशन के तहत बोल रहे थे.
मैंने मेरे नाना जी से पूछा कि मैं क्या करूं. तो नानाजी ने कहा कि बेटा ये चूहे की दौड़ है. तुम जीत जाओगे तो भी चूहे ही रहोगे. इसलिए जीत जरूरी नहीं है. तरीका जरूरी है. मॉडल जरूरी है. मारवाड़ी बनिया समाज में बच्चे पैदा होते ही मम्मी-पापा नहीं डेबिट-क्रेडिट शब्द सीखते हैं. ऐसा हर समुदाय में होता है. उनके अपने सिंबल होते हैं. जो उनके बच्चे सीखते हैं.मेरे नाना लगातार किताबें भेजते थे. पत्रों के जरिए रिव्यू मंगाते थे कि किताब में क्या पढ़ा, क्या सीखा.
मान लो मैं आज मर जाता हूं. और एक हजार साल बाद पैदा हूं. तब अमिताभ का एक मंदिर नहीं एक लाख मंदिर हो. तब आप क्या करेंगे. तबतक तो अमिताभ भगवान बन चुके होंगे. मैं मिथ और इतिहास को मिला दूं तो क्या बनेगा. मिस्ट्री. मिथ+हिस्ट्री=मिस्ट्री.हर कंपनी की एक मिस्ट्री होती है. एक स्टोरी होती है. एपल कंपनी की कहानी स्टीव जॉब्स से जुड़ी है. मेकडोन्ल्ड्स, कोका कोला इन सबकी की एक कहानी है. रिलायंस - हमें धीरूभाई की कहानी पता है. एमेजॉन. इन सबकी कहानी है. हम हर कंपनी के आसपास एक कहानी बनाते हैं.
सिर्फ अश्विन सांघी ही कहानियां नहीं बनाता. हम सब बनाते हैं. कई बार फिक्शन और फैक्ट में अंतर पता नहीं चलता. और हम सब इन्हीं के बीच कहानियां बनाते रहते हैं. हर धर्म में अलग शक्तियों की कहानी है. हिंदूओं में भी ऐसा ही है. यहां दो त्रिकोण बनते हैं. ब्रह्मा-विष्णु-महेश एक तरफ और सरस्वती-लक्ष्मी-दुर्गा एक तरफ. इन दोनों त्रिकोण को जोड़ दें तो एक छह कोने वाला सितारा बन जाता है.बिजनेस में भी ऐसा ही होता है. ब्रह्मा- एंटरप्रेन्योर. विष्णु- विकास और संरक्षण. जब बिजनेस गड़बड़ होता है तब शिव आते हैं.
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