बारिश लिखती है किसान की किस्मत, कृषि अब भी आजीविका का मुख्य साधन

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अगर पानी और कृषि का तालमेल बिगड़ा तो दुनिया की आधी आबादी होगी प्रभावित, जानिए कैसे !

जल के बिना कृषि की कल्पना अधूरी है। इस आर्थिक विकास वाले दौर में भी जैसे ही कृषि के लिए जल की आपूर्ति घटती है वैसे ही कई देशों की आधी से ज्यादा आबादी के मेहनताने पर सीधी चोट पहुंचती है... पानी और कृषि का तालमेल ऐसा है कि यह अगर थोड़ा भी बिगड़े तो दुनिया की आधी आबादी सीधे प्रभावित हो जाती है।

बीते कुछ दशकों में दुनियाभर में आर्थिक विकास का नारा भले ही गूंजा हो, लेकिन अब भी दुनिया में 2.1 अरब लोग गरीब हैं और इनमें 76.7 करोड़ लोग भयंकर गरीबी में हैं। इन गरीबों में 80 फीसद लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं। कृषि अब भी आजीविका का मुख्य साधन है। विश्व जल दिवस-2021 पर संयुक्त राष्ट्र की ताजा रिपोर्ट में विश्व बैंक का हवाला देकर कहा गया कि 30 वर्षों का विश्लेषण बताता है कि भारत में बारिश में गड़बड़ी या वर्षा के झटके सीधे तौर पर श्रमिकों के मेहनताने पर चोट पहुंचाते हैं। अधिक समय तक रहने वाला सूखा लंबी बेरोजगारी और पलायन की वजह बनता है। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग शहर की तरफ रुख करते हैं। जबकि यह ध्यान रखने लायक है कि गैर कृषि रोजगार बेहद सीमित हैं। पानी के इस झटके से महिलाओं को बड़ी विपदा का शिकार होना पड़ता है। वैश्विक स्तर पर 43 फीसद महिलाएं...

पानी के सुधार से खेती का दायरा बढ़ाया जा सकता है और फसलों को विफल होने से भी बचाया जा सकता है। साथ ही कई तरह की फसलें भी लगाई जा सकती हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि पानी की सुरक्षा पलायन पर रोक के साथ अधिक मेहनताने वाले रोजगार के अवसर को बढ़ा सकते हैं और स्थानीय स्तर पर खाद्य उत्पादन और उसकी कीमत को भी बेहतर बना सकते हैं। यूएन की रिपोर्ट में पानी की कमी से पैदा होने वाली समस्या और उसकी खूबी की विस्तृत सूची बनी है। बहरहाल पानी के विविध और बेहतर इस्तेमाल से ही इस संकट से लड़ा जा सकता है!

 

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मुल्क की प्रजा मर रही हो और देश का राजा अपने सत्ता के विस्तार पर निकला हो ईश्वर तो रूठेगा ही। राजा के कर्मों का दंड प्रजा को भोगना पड़ता है।

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