बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की वकालत की दुनिया में कितनी धाक थी?

  • 📰 BBC News Hindi
  • ⏱ Reading Time:
  • 117 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 50%
  • Publisher: 51%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

आंबेडकर जयंती के अवसर पर पढ़िए बाबा साहेब डॉक्टर बीआर आंबेडकर के एक वकील के रूप में करियर और उनकी ओर से लड़े गए प्रमुख मुक़दमों के बारे में.

किसी का पक्ष लेना और उसे ठीक से प्रस्तुत करना आम बोलचाल की भाषा में 'किसी की वकालत करना' कहलाता है. भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर एक जाने माने वकील भी थे. उन्होंने न केवल अपने मुवक्किलों के लिए वकालत की बल्कि समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के लोकतांत्रिक मूल्यों की भी वकालत की. इसलिए, उनकी गिनती आज भी दुनिया के सर्वश्रेष्ठ वकीलों में होती है.

यह आर्थिक मदद के बदले में उन्हें बड़ौदा के राजपरिवार के साथ एक अनुबंध करना पड़ा था कि अमेरिका में पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बड़ौदा सरकार के अधीन नौकरी करनी थी. 1917 में, बड़ौदा सरकार की छात्रवृत्ति समाप्त हो गई और अफ़सोस के साथ उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी. इस बीच उनके परिवार को आर्थिक मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था. इस स्थिति को देखते हुए ही आंबेडकर ने भारत लौटने का फ़ैसला लिया था.

लेकिन चूंकि सिडेनहैम कॉलेज की नौकरी सरकारी थी, इसलिए उन पर कई तरह की पाबंदियां भी थीं. इसके चलते ही उन्होंने 1920 में प्रोफ़ेसर पद से त्यागपत्र दे दिया और सीधे दलित मुक्ति के संघर्ष में कूद पड़े. लंदन में बाबा साहेब आंबेडकर के रूममेट होते थे असनाडेकर. वे आंबेडकर से कहते, ''अरे आंबेडकर, रात बहुत हो गई है. कितनी देर तक पढ़ते रहोगे, कब तक जगे रहोगे? अब आराम करो. सो जाओ."

यह डॉ. आंबेडकर के काम के प्रति श्रद्धांजलि थी हालांकि सौ साल पहले इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें खासा संघर्ष करना पड़ा था. यहां ये भी देखना होगा कि हैदराबाद के निज़ाम ने उन्हें राज्य के मुख्य न्यायाधीश के पद की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने उस प्रस्ताव को भी स्वीकार नहीं किया. वे इन लोगों के साथ सामाजिक, आर्थिक या फिर धार्मिकता के आधार पर किसी तरह का भेदभाव नहीं करते थे. उन्होंने सेक्स वर्करों को भी क़ानूनी सहायता दिलाने के लिए अपने दरवाज़े खोल रखे थे. वे किसी के साथ किसी भी तरह का पूर्वाग्रह का भाव नहीं रखते थे.

समाज में दलित समुदाय की स्थिति कैसी है, इस बारे में ब्रिटिश सरकार के सामने पक्ष रखने के लिए 1928 में साइमन कमीशन के सामने गवाही देने के लिए डॉ. आंबेडकर को चुना गया था. अमूमन होता यह है कि अभियोजन पक्ष का भाषण पहले होता है, लेकिन डॉ. आंबेडकर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उन्हें अपना पक्ष पहले रखने की अनुमति दी गई.

डॉ. कर्वे को रूढ़िवादी समाज के गुस्से का सामना करना पड़ रहा था. उन पर एक मुक़दमा दर्ज हुआ कि अपनी मासिक पत्रिका 'समाज स्वास्थ्य' के ज़रिए वे समाज में अश्लीलता फैला रहे हैं. हालांकि डॉ. आंबेडकर यह मामला हार गए थे. लेकिन कहा जाता है कि उनकी प्रगतिशील सोच और मदद के चलते कर्वे आख़िर में ये मामला जीतने में कामयाब हुए थे.'देश के दुश्मन' केस में बाबा साहेब की भूमिका को समझने से पहले 1926 में सामने आए इस मामले को समझते हैं. दिनकर राव जावलकर और केशव राव जेधे गैर-ब्राह्मण आंदोलन के प्रमुख कार्यकर्ताओं में से थे. उस समय ब्राह्मण समुदाय के लोग सामाजिक सुधारों का विरोध कर रहे थे. इस प्रबल विरोध के कारण रुढ़िवादियों ने महात्मा फुले की आलोचना भी की थी.

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।
हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 18. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

उत्तराखंड में तरसेम सिंह हत्याकांड का शार्पशूटर अमरजीत एनकाउंटर में ढेर, 12 दिन से था फरारनानकमत्ता गुरुद्वारे के कारसेवा प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की 28 मार्च को उधम सिंह नगर के नानकमत्ता गुरुद्वारे में दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

Bihar Loksabha Chunav: 2009 से 17 सीटों पर जीत रहे एक ही जाति के उम्मीदवार, इनमें से आठ अपर कास्ट केBihar Lok Sabha Elections: बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इन सीटों में से 39 पर पिछली बार NDA ने जीत दर्ज की थी।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »

नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे में बाबा तरसेम सिंह की हत्या, बाइक सवार हमलावरों ने बरसाईं गोलियांBaba Tarsem Murder: गुरुवार को उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर में उस वक्त सनसनी फैल गई जब नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारे में बाबा तरसेम की गोली मारकर हत्या कर दी गई.
स्रोत: News Nation - 🏆 15. / 51 और पढो »

मेघा इंजीनियरिंग : इलेक्‍टोरल बॉन्‍ड खरीदने की टाइमिंग पर सवाल, पहले भी विवादों से रहा है नातादेश की बड़ी इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर कंपनियों में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड का नाम आता है, हालांकि शुरुआत में यह कांट्रेक्‍ट लेने वाली एक छोटी कंपनी थी.
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »

मैं रेल मंत्री नहीं हूं...ट्रेन में भीड़ से घबराई महिला ने की कोच बदलने की रिक्वेस्ट, TTE ने कहा कुछ ऐसा, वायरल हो गयाट्रेन में भीड़ से घबराई महिला ने की कोच बदलने की रिक्वेस्ट
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »

Navratri के तीसरे दिन की गई दिल्ली के झंडेवालान में माता की आरतीNavratri के तीसरे दिन की गई दिल्ली के झंडेवालान में माता की आरती | abpnewsshorts
स्रोत: ABP News - 🏆 9. / 59 और पढो »