गृह मंत्री अमित शाह ने भी तब ट्वीट किया था, "श्रीराम जन्मभूमि पर सर्वसम्मति से आए सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का मैं स्वागत करता हूँ. मैं सभी समुदायों और धर्म के लोगों से अपील करता हूँ कि हम इस निर्णय को सहजता से स्वीकारते हुए शांति और सौहार्द से परिपूर्ण 'एक भारत-श्रेष्ठ भारत' के अपने संकल्प के प्रति कटिबद्ध रहें.
उसमें पहली वजह तो ये है कि 30 सितंबर को आए फ़ैसले को अंतिम फ़ैसला नहीं कहा जा सकता, क्योंकि इसमें अपील की गुंज़ाइश बची है.वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई उन्होंने कहा, "बाबरी विध्वंस मामला एक ढाँचे को गिराने को लेकर है, जिसके बारे में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि ये ग़ैर-क़ानूनी था, तो प्रधानमंत्री सार्वजनिक रूप से ग़ैर-क़ानूनी काम का समर्थन कैसे कर सकते हैं?"
फैसला आने के पहले ही फैसला पता ही था!!
दोनो ही फैसले पर नही बोलते सिर्फ फैसला करते हैं देश की न्यायपालिका इनकी गुलाम है और देश की लोकतंत्र इनके हाथ की कठपुतली है, जयहिन्द
Because it is the verdict by honourable supreme Court...which no one can question...
Game empire to tahre, dear der hai andher nahi
Nice dress and pose.
इन्हें सच पता है
बिहार चुनाव में कौन सा कार्ड खेला जाये कि हम जीत जाये QK 5 साल वाले सारे कार्ड'हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, पाकिस्तान, ईस्लाम' सब पुराने हो चुके है और गोदीमीडिया की बहसों से भी कुछ बात बन नही रही है--- दो ठग
ये मुद्दा बंद करो ये मुद्दा उठाकर आप लोग असली मुद्दों से ध्यान भटका देते है जिस दिन मानव ये जान जाएगा की ईंट पत्थर से बने मंदिर मस्जिद की औकात इंसानी जान से कम है उसी दिन कयामत आनी भी होगी तो रुख जाएगा ना मंदिर बनाई ने मस्जिद दोनों में भगवान नहीं शैतान रहने लगा है
ये बोले तो बोलोगे की बोलता है, न बोले तो भी आपको खुजली हो रही है?
ढ़ाचा गिराने के आरोंप से आडवाणी जोशी उमाभारती कल्याण इत्यादि को 28 साल बाद बरी किया 15 साल कांग्रेस कि सरकार दो बार महागठबंधन कि सरकार थी उनकी सरकार को सबूत क्यों नहीं मिला? केस को अंजाम तक क्यों नहीं पहुचाया? और मोदी सरकार पर मनगढ़ंत आरोप लगा रहे है कुंठा प्रदर्शित कर रहे है
एक सवाल है~ क्या अदालत भरोसे लायक रह गई है.? पूरी दुनिया जानती है कि बाबरी मस्जिद ढहाने में कौन-कौन संलिप्त था.. लेकिन जज को कुछ नहीं दिखा.! कैसे और क्यों.? कौन मानेगा.. कि भाजपा के नेता ढांचे को गिराने नहीं, बल्कि बचाने की कोशिश कर रहे थे.? न्याय का बलात्कार जज ही कर रहे हैं
Insan kitni bhi apni manmani kar le Zameen Aasman ke Malik ko jawab dena hi padega unki maar bahut sakht hai Jahan insaaf nahin hota vahan barbadi aati hai
समसासुर, बाणासुर आदि असुरों की तरह इनको भी लगाता है ये अजेय हैं।
अब लोटे में समा जाने का डर सता रहा है शायद 😉
न्याय तो यहाँ मिले जहां जिसके लिए दिया जीवन!👃 होता तो यह कि कोर्ट के फैसला को - भाजपा मोदी स्वीकारते! भारी संघर्ष में बूढाऐ नेताओ को, कुरसी लौटाते भरत बन राम को सत्ता दे निहारते! बड़ी संख्या नेता बरी रामलला आशीर्वाद से! बन सकती सरकार में सम्मान जनक जगह!
Sachai ki jit huvi
क्या BBC अब भी नहीं समझ पा रही है कि भारत की न्यायव्यवस्था अब न्यायालय से नहीं भारत के PMO से चलती है।
To kya kare loudspeaker lagake din me 5 bar gala fare
क्योंकि यह भी जान गए हैं कि भाजपा नेताओं ने ढांचा गिराया नहीं था बल्कि राजनीतिक लाभ लिया था।
Kanon ko kewal janta man rahi hai baki jitne bhi government ke log hain sabke sab kanoon ki dhajjia ura rahe hain
Media walo sher ke chaar kadam piche hone se ye mat socho wo chup hai kyu ki sher chaar kadam piche hamesha shikar karne ke liye hota hai ...or shikar kiska hoga🤔 uske liye wait n watch 👍or baaki agar faisle ye likh rhe hote to kal hi Kashi mathura ka faisla bhi ho jata ..
वही क़ातिल वही मुंसिफ़ अदालत उस की वो शाहिद बहुत से फ़ैसलों में अब तरफ़-दारी भी होती है. जालिम कबतक जुल्म करेंगा। एक दिन फिरोन का खत्मा होंगा
मोदी जी ठीक किया ना जज साहब ने
Gour se dekh khamoshi nahi sunami nazar aayegi.
आप जैसे विदेशी चैनल भौंक तो रहे है
Vo ab kashi-mathura-ayodhya sabki baat eksaath hi karenge ruko jara Sabar karo
अमित शाह तो परमानेंट मोन ही है
फैसला लिख के उन्होंने ही दिया है, तो क्या बोलेंगे अब ये रंगा बिल्ला ,
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »