बात बराबरी की: ट्रोलर्स को पक्ष या विपक्ष से कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें फर्क इस बात से पड़ता है कि लिखने वाला मर्द है या औरत

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बात बराबरी की : ट्रोलर्स को पक्ष या विपक्ष से कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें फर्क इस बात से पड़ता है कि लिखने वाला मर्द है या औरत trollers woman

The Trollers Do Not Care About The Side Or The Opposition, They Do Matter Whether The Person Writing Is A Man Or A Woman.

तो ट्रोलिंग की आंधी इन तमाम औरतों की आंखें-मुंह धूल से भर चुकी है। किसी की न्यूड तस्वीर आ रही है तो किसी की अपने मर्द से पिटने के बाद की तस्वीर। इस पर कोई हैरानी नहीं। ये तो होना ही था, लेकिन हैरानी एक और बात पर है। क्याेें किसान आंदोलन में वाकई सक्रिय औरतों को लेकर सबके मुंह में दही जमी हुई है। नेता से लेकर मीडिया तक अन्नदाता का नारा बुलंद करते हैं तो स्क्रीन पर पुरुष किसान आ जाता है, झुर्रियों से भरे पोपले लेकिन मजबूत चेहरे वाला। या फिर कोई युवा किसान, जिसने विरासत में खेती संभाली और अब धरने...

मंडी से जो कीमत लेकर लौटता है, चेहरा उसी का होता है। ठीक वैसे ही जैसे जीत के विजय एंड टीम या फिर अली एंड टीम। तो औरतें टीम में कहीं खोकर रह जाती हैं। यहां तक कि लाल किले की प्राचीर से जो पवित्र उद्बोधन आता है, उसमें भी खेती की बात चले तो जिक्र किसान-भाई का ही रहता आया। किसान बहनें- संबोधन शायद ही किसी ने दिया हो। फेमिनिज्म की बयार में भले ही भाषण में थोड़े बदलाव हो गए हों, लेकिन किसान बहनें अब भी गायब...

चलिए, जमीन पर दावेदारी की बात छोड़कर सीधे आंदोलन स्थल की छलांग लगाते हैं। आंदोलन में बड़ी संख्या में औरतें मौजूद हैं। हर उम्र की औरतें। वे साथी पुरुषों से ज्यादा मुश्किलें झेलती हुई यहां बनी हुई हैं। गौर फरमाएं कि सिंघु बॉर्डर पर बने इन खेमों में तय संख्या में बाथरूम हैं। ऐसे में पीरियड्स के दर्द से दोहरी-तिहरी होती औरतें उन्हीं सार्वजनिक शौचालयों का इस्तेमाल कर रही हैं। कहना गलत न होगा कि धरनास्थल पर बहुतेरी औरतें फिलहाल यूरिनरी ट्रैक्ट डिसीज जैसे संक्रमण का शिकार हो चुकी होंगी। लेकिन उस बारे...

 

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वामपंथियों का ऐजेंडा जब फेल होता है,तो वे बचाव में इस तरह के लेखों से विक्टिम कार्ड खेल कर विरोधियों/ट्रोलर्स को घेर कर अपराधी बनाने का घिनौना षड्यंत्र रचते हैं। यहां बचाव में कुछ नहीं दिखाई दिया तो औरत होने को मुद्दा बना कर बचाव कर रहे हैं। वामपंथी हद दर्जे के कमीने हैं

Pranam karti hu itni gahrai wali soch ko .

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