बाइडन प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका भारत की दवा आवश्यकताओं को समझता है। उसने कोरोना वैक्सीन के निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री के मामले पर उचित ध्यान देने का आश्वासन दिया है। बाइडन प्रशासन ने कहा है कि अमेरिका में एक कानून है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियों को घरेलू मांग को प्राथमिकता देनी पड़ती है।
अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की तरह राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी युद्धकालीन रक्षा उत्पादन कानून लागू कर रखा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियों को कोरोना वैक्सीन और पीपीई उत्पादन में घरेलू मांग को प्राथमिकता देनी पड़ती है। बताते चलें कि अमेरिका खुद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश है। अमेरिका में चार जुलाई तक पूरी आबादी का टीकाकरण करने का लक्ष्य रखा गया है। यहां पर मुख्यत: माडर्ना और फाइजर की वैक्सीन लगाई जा रही है। इसलिए अमेरिकी कंपनियों के सामने वैक्सीन के निर्माण में जरूरी कच्चे माल की आपूर्ति सिर्फ घरेलू उत्पादकों को ही करने का दबाव है।विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बाइडन प्रशासन ने भारत सरकार को संदेश भिजवाया है कि वह उसकी जरूरतों को समझता है। अमेरिकी अधिकारी मानते हैं कि भारत-अमेरिका के बीच स्वास्थ्य सहयोग का दायरा व्यापक है। समझा जाता है कि दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास...
उधर, जेन पाकी ने इस बात पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया कि अमेरिका वैक्सीन निर्माण में उपयोग होने वाली सामग्री के निर्यात की इजाजत देगा या नहीं। मीडिया में इस तरह की खबरें आई हैं कि विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके अमेरिकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन की वर्चुअल बैठक के दौरान कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध उठाने का संकेत दिया गया। लेकिन पाकी ने इस पर कुछ नहीं कहा। सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने बाइडन प्रशासन से कच्चे माल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का अनुरोध किया...
JoeBiden सुन लो बाइडन यह हमारा अन्दरुनी मामला है बीच में टपकने की कोई जरूरत नहीं है, हम पहले से विश्वगुरु है
JoeBiden बहुत बड़ा वाला है ये चाचा।
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