बरेलीः संतोष गंगवार का टिकट कटा, बीएसपी का पर्चा ख़ारिज, क्या बच पाएगा बीजेपी का गढ़ -ग्राउंड रिपोर्टतस्वीर में: बीजेपी उम्मीदवार छत्रपाल गंगवार , समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी प्रवीण सिंह एरोन और बीजेपी के मौजूदा सांसद संतोष गंगवारराष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से क़रीब चार घंटे के सफ़र के बाद, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आख़िरी छोर पर एक बड़ा झुमका नज़र आता है, ये निशानी है कि आप बरेली पहुंच गए हैं.
सोशल मीडिया से होते हुए बात जब मीडिया और फिर प्रशासन तक पहुंची तो आनन-फानन में गड्ढे भरने का काम किया गया. लेकिन गांव के लोग इससे संतुष्ट नहीं हैं.लोकसभा चुनाव 2024: पहले और दूसरे चरण की वोटिंग के आंकड़ों में देरी पर क्यों उठ रहे हैं सवाल हालांकि इस युवक को शाम को छोड़ दिया गया. गांव के कुछ अन्य लोगों का दावा है कि उनके साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ, हालांकि पुलिस प्रशासन ऐसी किसी सख्ती से इनकार करता है. बहरहाल सच यह है कि अब सड़क के लिए खड़ा हुआ आंदोलन परवान चढ़ने से पहले ही ठंडा हो गया है.
हृदेश मौर्य कहते हैं, "ये सड़क आगे 15 गांव को जोड़ती है, कितने लोगों के यहां गड्ढों में गिरकर हाथ-पैर टूटे, किसी ने सुध नहीं ली. सांसद जी के पास मांग लेकर गए तो उन्होंने टाल दिया. अब गांव के युवाओं ने चुनाव से पहले विरोध किया तो सुध ली है, हम उम्मीद कर रहे हैं कि चुनाव के बाद शायद सड़क पड़ जाए." हेमा और उन जैसे कई युवा परिवार के राजनीतिक और जातिगत झुकाव और अपनी स्थिति के बीच फंसे नजर आते हैं. हालांकि वो ये भी कहते हैं, "इस बार वोट सोच समझकर डालेंगे."
टूटी हुई सड़के, बेरोज़गारी, बढ़ती महंगाई ये सब मुद्दे ज़मीनी स्तर पर भले दिखाईं दे लेकिन राजनीतिक रैली में पहुंचते ही ये हवा हो जाते हैं. बरेली राजनीतिक रूप से बीजेपी का गढ़ रहा है, अगर 2009 के अपवाद को छोड़ दें तो यहां साल 1989 के बाद से भाजपा जीतती रही है. संतोष गंगवार यहां से आठ बार सांसद रहे हैं. 2009 में छात्र जीवन से राजनीति शुरू करने वाले प्रवीण सिंह एरोन ने कांग्रेस के टिकट पर उन्हें हरा दिया था.
बहेड़ी विधानसभा सीट से दो बार विधायक और पेशे से शिक्षक रहे छत्रपाल गंगवार बीजेपी के टिकट पर मैदान में हैं और अपनी जीत के लिए मोदी की गारंटी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छवि पर निर्भर हैं. यहां अब चुनावी मुक़ाबला सीधे-सीधे गठबंधन से समाजवादी पार्टी के टिकट पर प्रत्याशी प्रवीण सिंह एरोन और बीजेपी के छत्रपाल गंगवार के बीच है.
अमित शाह की रैली से लौट रहे एक गंगवार युवक कहता है, "शुरू में संतोष गंगवार का पर्चा कटने को लेकर बहुत नाराज़गी थी, लेकिन अब लगता कोई नाराज़गी नहीं है." पीएम मोदी के ख़िलाफ़ आचार संहिता उल्लंघन के शिकायत मामले में ये फ़ैसला दे सकता है चुनाव आयोग? - प्रेस रिव्यूलोकसभा चुनाव 2024: क्या बुलढाणा के ये किसान हरा पाएंगे शिवसेना सांसद कोचुनावी अभियान में लगे प्रवीण एरोन कोशिश कर रहे हैं कि वो अधिक से अधिक गांवों में पहुंचकर लोगों से मिल लें. गाड़ी में कुछ मिनट का समय मिलता है तो वो नींद निकाल लेते हैं.
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