उत्तराखंड हाईकोर्ट ने कोविड-19 की बेकाबू दूसरी लहर के बीच प्रदेश के दूरस्थ स्थानों में रह रहे लोगों की चिकित्सकीय जरूरतों पर ध्यान नहीं देने के लिए केंद्र की खिंचाई की और कहा कि वह पर्वतीय प्रदेश के साथ सौतेला व्यवहार कर रहा है.
अदालत ने कहा कि भारत सरकार तथा प्रधानमंत्री कार्यालय को 10 मई को एक पत्र लिखा गया था, लेकिन उसका अब तक कोई जवाब नहीं आया है. अदालत ने पूछा कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति और ऑक्सीजन की आवश्यकता को देखते हुए उसका ऑक्सीजन कोटा बढ़ाकर 300 मीट्रिक टन क्यों नहीं किया जा रहा है. उसने केंद्र सरकार के अधिवक्ता से पूछा कि उत्तराखंड की इस प्रकार उपेक्षा क्यों की जा रही है?
कोर्ट ने कहा, ‘यहां कौन सुपरवाइज कर रहा है या फिर इसे साधुओं पर छोड़ दिया गया है? अगर साधुओं में कोरोना फैल गया तो क्या होगा? अगर देवता की पूजा हो रही है, तब भी आप 20 से ज्यादा लोगों को अंदर जाने की इजाजत नहीं दे सकते हैं, क्योंकि रूम छोटा है.’
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