बजट में खेती के लिए मिला एग्री ड्रोन:नई दिल्लीकेंद्र सरकार हाइटेक संसाधनों के जरिए खेती में किसानों को कम मेहनत में ज्यादा लाभ दिलाने पर फोकस कर रही है। इसके लिए एग्रीकल्चर में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट भाषण में इसकी घोषणा की। सरकार का मानना है कि ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों के समय की बचत होगी और लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा भी कई अन्य फायदे बताए जा रहे हैं। खेती में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने...
फसल का मूल्यांकन करने, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों और पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा दिया जाएगा।ऐसे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि खेती में ड्रोन का इस्तेमाल किन-किन चीजों के लिए किया जाता है? ड्रोन लेने के लिए किसानों को क्या करना होगा? इन ड्रोन्स की कीमत कितनी है? ड्रोन का इस्तेमाल खेती को कैसे बदल सकता है?कीटनाशक और खाद के छिड़काव के साथ-साथ फसलों की बुआई के लिए एग्री ड्रोन का इस्तेमाल किया जाता...
ड्रोन टेक्नोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के शामिल होने से फसल की मॉनिटरिंग और न्यूट्रियंट मैनेजमेंट भी किया जाता है।फिलहाल बाजार में मौजूद ड्रोन्स बेहद महंगे हैं। इसके चलते अभी इन्हें खरीद पाना सभी किसानों के लिए संभव नहीं है। करीब 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन की कीमत 6-10 लाख रुपए के बीच है। हालांकि, बाजार में ऐसी कई कंपनियां आ गई हैं, जो एग्री ड्रोन सर्विस प्रोवाइड करती है यानी अगर आप अपने खेत में कीटनाशकों का छिड़काव कराना चाहते हैं या फसल की मॉनिटरिंग कराना चाहते हैं तो बस एक फोन कॉल पर ये...
ऐसी ही एक कंपनी है मारुत ड्रोन, जो एग्री ड्रोन सर्विस प्रोडवाइड कराती है। मारुत ड्रोन के फाउंडर प्रेम कुमार विस्लावथ ने बताया कि उनकी कंपनी 500 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से ये काम करती है। उन्होंने कहा कि अगर कोई किसान ड्रोन खरीदना चाहता है तो 10 लीटर क्षमता वाले ड्रोन की कीमत 6-10 लाख रुपए के बीच आती है। इसके बाद ड्रोन उड़ाने के लिए किसान को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग भी लेनी होगी। केवल डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन सर्टिफाइड पायलट ही एग्री ड्रोन उड़ा सकते हैं। दवा के छिड़काव और अन्य कामों के...
IIT से पास हुए तीन छात्रों ने एग्री ड्रोन सर्विस प्रोडवाइडर कंपनी मारुत ड्रोन को शुरू किया है। कंपनी की फिलहाल 16 राज्यों में पहुंच है।भारत में ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग देने वाले अभी करीब 40 स्कूल हैं, जो डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन की ओर से अप्रूव्ड हैं। ड्रोन की डिमांड को देखते हुए कई और भी स्कूल खोले जा रहे हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एग्री ड्रोन को लेकर एक मेला आयोजित किया गया था। इसमें कई सारी ड्रोन निर्माता कंपनियां शामिल हुई थीं। मेले का शुभारंभ करने पहुंचे मुख्यमंत्री...
REET_के_पद_बढाकर_50000_करो
किसान को खाद चाहिए न कि ड्रोन
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