कोरोना वायरस की तीसरी लहर की आशंका के बीच देश में वैक्सीनेशन की रफ्तार एक बार फिर धीमी होती दिख रही है. केंद्र सरकार के दावों से इतर देश के अलग-अलग हिस्सों में कई सेंटर्स पर वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. नोएडा, गाजियाबाद, हिमाचल प्रदेश, बेंगलुरु, दिल्ली समेत देश के अलग-अलग राज्यों, शहरों से एक बार फिर वैक्सीन की किल्लत की खबरें आनी शुरू हो गई हैं.मध्य प्रदेश के लोधीखेड़ा का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल है.
दरअसल, छिंदवाड़ा के लोधीखेड़ा का ये इलाका महाराष्ट्र की सीमा से सटा हुआ है. ऐसे में लोगों की कोशिश है कि तीसरी लहर की दस्तक से पहले खुद को टीका लगा लिया जाए ताकि सेफ्टी बरकरार रहे. यहां एक सेंटर पर करीब 250 वैक्सीन की डोज़ एक दिन में मिल रही हैं, जबकि वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या दोगुनी है.नोएडा और गाजियाबाद में भी कमी
देश की राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा-गाजियाबाद में भी बीते दिन वैक्सीन की कमी देखने को मिल रही है. गाजियाबाद को उम्मीद थी कि 50 हजार डोज़ मिलेंगी, लेकिन सिर्फ नौ हज़ार ही मिल पाईं. ऐसा ही कुछ गाजियाबाद से सटे नोएडा का हाल है, जहां पर अभी सिर्फ वैक्सीन की पहली डोज़ लगाई जा रही है. वो भी सिर्फ उन लोगों को जिन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है, ऐसा इसलिए क्योंकि वैक्सीन की किल्लत है.
गुजरात से हटकर अगर कर्नाटक को देखें, तो यहां बेंगलुरु के कुछ सेंटर्स पर वैक्सीन चंद घंटों में खत्म हो जा रही है. बेंगलुरु नगर निगम के अधिकारी का कहना है कि कई बार वैक्सीन सिर्फ चार घंटे में खत्म हो जा रही है. क्योंकि हम एक दिन में 80-90 हजार वैक्सीन लगा रहे हैं. हमें उम्मीद है कि जुलाई में हमें 25 लाख वैक्सीन मिलेंगी, ऐसे में हम जुलाई के अंत तक 75 फीसदी बेंगलुरु वालों को टीका लगा पाएंगे.वैक्सीन की सप्लाई कम होने के कारण हिमाचल प्रदेश में अब 18 प्लस वालों को टीका नहीं लगाया जा रहा है.
आपको बता दें कि देश में अबतक 35 करोड़ के करीब वैक्सीन की डोज़ लगाई जा चुकी हैं. 21 जून से देश में अब वैक्सीनेशन का काम केंद्र सरकार के हाथ में आ गया है. केंद्र की ओर से कहा गया है कि जुलाई महीने में कुल 12 करोड़ वैक्सीन उपलब्ध होंगी. हालांकि, वैक्सीन की किल्लत को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी समेत अन्य विपक्ष पार्टियों ने भी केंद्र पर निशाना साधा है.
Ahmedabad main koi slot hi nahi last 2 week se.
कमी तो होगी हि क्योकि रातोरात चमत्कार नहीं होते भारत जैसे मुल्क के लिए 280 करोड़ टीका बनाना काफी दुरूह कार्य है कारण कई है आप पत्रकार है हमसे बेहतर जानते है
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