मिर्जापुर: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से फर्जीवाड़े का एक अलग ही मामला सामने आया है। फर्जी दस्तावेज के जरिए खुद को मृतक आश्रित बता शिक्षक की नौकरी हासिल करने के मामले में विजिलेंस ने दो आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें तत्कालीन बेसिक शिक्षा अधिकारी और लेखपाल की भी भूमिका सामने आई है। लेकिन, दोनों की मौत होने के चलते उन्हें एफआईआर में नामजद नहीं किया गया है। विजिलेंस के प्रयागराज सेक्टर की एफआईआर के मुताबिक 28 जुलाई 2022 को शासन ने मिर्जापुर निवासी कृष्णकांत के खिलाफ जांच के आदेश दिए थे।...
थी। सुमित्रा की 16 दिसंबर 1990 को मौत हो गई। लोकापुर निवासी नाथेराम के परिवार रजिस्टर में दर्ज 13 सदस्यों में सुमित्रा सिंह का नाम दर्ज नहीं था। नाथेराम ने शपथ पत्र में खुद को सुमित्रा का पति दिखाते हुए बेटे कृष्णकांत को उनका वारिस दिखा दिया। इसी शपथ पत्र के आधार पर कृष्णकांत ने तत्कालीन लेखपाल स्वर्गीय शेषमणि की मदद से वारिस प्रमाण पत्र जारी करवा लिया गया। इस प्रमाण पत्र के जरिए कृष्णकांत को सुमित्रा की जगह नौकरी मिल गई। विजिलेंस की जांच में सामने आया है कि कृष्णकांत न तो सुमित्रा का बेटा था न...
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