प्राइवेट हाथों में जा सकते हैं सरकारी जिला अस्पताल, नीति आयोग ने जारी किया दस्तावेज

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प्राइवेट हाथों में जा सकते हैं सरकारी जिला अस्पताल, नीति आयोग ने जारी किया 250 पन्नों का दस्तावेज

जनसत्ता ऑनलाइन नई दिल्ली | Updated: January 2, 2020 1:59 PM प्रतीकात्मक तस्वीर केंद्र सरकार सरकारी जिला अस्पतालों को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। यदि यह योजना पास हो जाती है तो निजी व्यक्ति या संस्थान मेडिकल कॉलेज की स्थापना और उसे चलाने के लिए भी जिम्मेदार होंगे और इन मेडिकल कॉलेजों से सेकेंडरी हेल्थकेयर सेंटर को जोड़ा जा सकता है। ये सेंटर भी निजी हाथों से नियंत्रित होंगे।

संबंधित खबरें इस महीने के अंत में शेयरधारकों की एक बैठक की तारीख तय की गई है। इस तरह के जिला अस्पतालों में कम से कम 750 बेड होने चाहिए। इसमें लगभग आधे “मार्केट बेड” और बाकी “रेग्यूलेटेड बेड” के रूप में होंगे। मार्केट बेड की कीमत बाजार के आधार पर होगी। इसी की बदौलत रेग्यूलेटेड बेड पर छूट दी जा सकेगी। Also Read इस योजना को देख रहे अधिकारियों का कहना है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप योजना के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए गए काम पर आधारित है। इसके तहत जिन लोगों को इस योजना को लागू करने के लिए छूट मिलेगी वे मेडिकल कॉलेज का डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और रखरखाव करेगें और संबंधित जिला अस्पताल का संचालन और रखरखाव भी करेगें।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक जन स्वास्थ्य अभियान के नेशनल को-कनवेनर डॉ. अभय शुक्ला कहते हैं, “इस नीति की वजह से स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच और गुणवत्ता से समझौता करना पड़ेगा, खासकर गरीबों को। हमारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा में निवेश की जरुरत है। किसी का यह कहना कि हमारे पास लिए संसाधन नहीं हैं, यह एक हास्यास्पद तर्क है क्योंकि हमारा स्वास्थ्य सेवा खर्च दुनिया में सबसे कम है।”

 

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जब तक करप्शन रहेगा सरकारी क्षेत्रों का यही हश्र होगा।

कुछ बचेगा या या मोदी जी सब कुछ प्राइवेट हाथो में ही दे दोगे

Non__believer बधाई हो भक्तों

💐🌹बधाई 💐🌹

सबकुछ बेच देंगे.. अंधभक्तों की भीड़ इनके साथ है

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