सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि जिस तरह बीमाधारक का का दायित्व है कि वो सभी प्रासंगिक तथ्यों का खुलासा करे, उसी तरह बीमा कंपनी का भी वैधानिक दायित्व है कि वह किसी भी विवरण को छिपाए बिना बीमाधारक को पॉलिसी के नियमों और शर्तों के बारे में पूरी जानकारी दे.
हालांकि फैसले में यह स्पष्ट नहीं है कि कंपनी ने वास्तव में क्या छिपाया था, लेकिन फर्म ने यह तर्क दिया था कि वेंकटेश्वरलु ने यह सूचित नहीं किया था कि उन्होंने विभिन्न कंपनियों से अलग-अलग पॉलिसी ले रखी थी. उल्लेखनीय है कि इससे पहले एनसीडीआरसी ने शिकायतकर्ता के दावे को खारिज कर दिया था और कंपनी के रुख को स्वीकार कर लिया था कि पॉलिसी के तहत दावे का भुगतान नहीं किया जा सकता. कंपनी ने कहा था कि मृतक ने विभिन्न फर्मों से 15 जीवन बीमा पॉलिसी ले रखी थी और भौतिक तथ्यों को छिपाते हुए बीमा कंपनी फ्यूचर जनरल इंडिया को इसकी जानकारी भी नहीं दी गई थी.
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