पूर्वी लद्दाखः डिसइंगेजमेंट के बाद ग्राउंड जीरो पर पहुंचा आजतक, जानें कैसे हैं यहां के हालात

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भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित गोगरा इलाके से अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है | India China Ladakh | manjeetnegilive

चुशुल सरहद पर सेना के जवानों की हर हरकत पर कड़ी नजरभारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में विवादित गोगरा इलाके से अपने-अपने सैनिकों की वापसी कर ली है. डिसइंगेजमेंट के बाद पहली बार आप आजतक/इंडिया टुडे ने लाइन आफ एक्चुअल कंट्रोल पर ग्राउंड जीरो पर जाकर ताजा हालात का जायज़ा लिया. पिछले एक साल से लद्दाख सरहद पर भारत और चीनी सेना युद्ध के मोर्चे पर तैनात हैं. लेह से 150 किलोमीटर दूर पूर्वी लद्दाख के चुशुल सरहद पर भारतीय सेना के जवान चीनी सेना की हर हरकत पर कड़ी नजर बनाए हुए हैं.

14,000 से लेकर 18,000 की फीट की ऊंचाई पर शून्य से नीचे के तापमान में भारतीय सेना के जवान किस तरह से तैनात हैं. कैसे उनके रहने के लिए खास तरह के इंतजाम किए जा रहे हैं. प्रीफैबरीकेटेड हट्स तैयार की जा रही है. आजतक की टीम ने लेह से अपना सफर शुरू किया. आजतक संवाददाता मनजीत नेगी लेह से कारु होते हुए चुमाथांग सरहद पहुंचे.

रास्ते में जगह-जगह पर भारतीय सेना की तैयारियों को देखा जा सकता है. भले ही इस वक्त पूर्वी लद्दाख के गोगरा में फ्रिक्शन पेट्रोलिंग पॉइंट 17ए से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटी हैं. लेकिन भारतीय सेना के तेवर से साफ है कि वह किसी भी मोर्चे पर चीन के खिलाफ अपनी तैयारियों में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती. सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि सिंधु नदी के किनारे चुमाथांग में भारतीय सेना के जवान छोटे बड़े सभी तरह के आधुनिक हथियारों के साथ तैनात हैं.

इस राइफल से एक मिनट में छह सौ गोलियां मारी जा सकेंगी. मतलब एक सेकंड में दस गोलियां निकलेंगी. इसे ऑटोमेटिक और सेमी ऑटोमेटिक दोनों तरह से प्रयोग किया जा सकेगा. इस राइफल की सबसे ज्यादा खास बात यह है कि यह कभी जाम नहीं होगी. यह किसी भी तरह के मौसम में काम करेगी चाहे भारी ठंड हो, गर्मी हो या फिर बारिश. इसके अलावा भारतीय सैनिक रैकेट लॉन्चर और ऑटोमेटिक ग्रीनेड लॉन्चर से लैस हैं.

चीन की चालबाजी को देखते हुए लद्दाख में चीन से लगने वाले ऊंचे पहाड़ी इलाकों में सेना युद्ध स्तर पर ऐसे टेंट और प्रीफैबरीकेटेड हट्स तैयार कर रही है. साथ ही लगातार इन इलाकों में सेना के लिए हथियार और जरूरी साजो सामान पहुंचाने का भी काम युद्ध स्तर पर चल रहा है. इसके साथ ही भारतीय सेना के हजारों सैनिक मुश्किल हालात में हर उस पहाड़ी और घाटी में मौजूद हैं जहां से चीन घुसपैठ कर सकता है. गलवान की खूनी भिड़ंत के बाद अब भारतीय सेना चीन को कोई मौका नहीं देना चाहती.

 

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manjeetnegilive Not to worry much about engagement or disengagement keep watch and concentrate over area adjacent to Bhutan and chicken neck where China silently coming with a firm and clear strategy to cut the chicken neck chinese are buying public near by area. we have no policy BEWARE INDIA

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