उत्तर प्रदेश पुलिस ने कुख्यात गुंडे के तौर पर पहचान रखने वाले विकास दुबे को एनकाउंटर में मार गिराया। ऐसे बाहुबली गुंडे के मरने से किसी को भी बुरा लगने का कोई कारण नहीं, लेकिन जिन परिस्थितियों में यानी एनकाउंटर के जरिये यह हो रहा है और पुलिस जिस तरह से इसे रंग दे रही है, वह चिंता पैदा करता है। सबसे अहम बात है इस एनकाउंटर से सोसायटी को सैटिस्फेक्शन मिला, कहीं-कहीं जश्न भी मनाया गया, यह साफ तौर पर सोसायटी के ज्युडिशियरी पर कम होते भरोसे को दिखाता है। भास्कर एक्सप्लेनर के लिए 26/11 के मुंबई हमलों...
विकास दुबे उज्जैन के महाकाल मंदिर में खुद के नाम की रसीद बनवाकर खुलकर सामने आया था। उसने खुद की पहचान छिपाने की कहीं भी कोशिश नहीं की। इसका साफ अर्थ है कि वह सरेंडर करने आया था। निश्चित तौर पर उसे डर था कि पुलिस एनकाउंटर में उसे खत्म कर देंगे, इसी वजह से उसने सरेंडर किया। उसकी गिरफ्तारी के बाद जिलाधिकारी ने भी कहा कि विकास दुबे ने सरेंडर किया है।विकास दुबे को मध्यप्रदेश में गिरफ्तार कर उत्तरप्रदेश ले जाते समय तीन-चार गाड़ियों का काफिला साथ था। ऐसे में भी उसने भागने की कोशिश की और पुलिस पर...
Uppolice काश निकम साहब की बिरादरी के लोगों को भी विकास दुबे जैसे लोग पुलिस वालों की तरह ही गोलियां मारे। तब निकम साहब के बयान की हम जरूर तारीफ करेंगें।
Uppolice Beta tum jaise wakilon ke wajah se hi ab police ko hi judge banna pad raha....warna tum to saalo bik jaate ho well done up police keep it up kill all d gangsters saalon ko dauda dauda ke maaro
Uppolice Vilas Dube ne to police ko kamar nich Goli nahi mari?
Uppolice Such type of person should have been handcuffed?Question does not arise of encounter.
Uppolice 3 mahinai mai jail sai chout jata. Itna powefull hai hamara kanun
Uppolice अफसोस उज्ज्वल निकम जैसों का एक अमीर ग्राहक मारा गया......
Uppolice Nikam sir I am with you.
Uppolice Advujjwalnikam special कोर्ट लगा कर ८-१० दिन में फ़ासी देते तो शायद इंडिया का ये पहला केस तो होता ही ओर न्याय पालिका पे लोगों का विश्वास ओर द्रुड होता. शायद ये केस इतिहास में लिखा जाता. जिस तरह maharastrapolice नियमो में रहकर काम करती है वैसे Uppolice क्यू नहीं करती
Uppolice इतना दिन में न्यापालिका ने क्या घंटा उखाड़ लिया था विकास दुबे का
Uppolice सवाल उठाना,और सुझाव देना एक बात है पर मौके पर घटना किस तरह हुई इसके लिए दैनिक भास्कर एनकाउंटर में नही गया था।
Uppolice आगदी सत्य. दुबे विशई आम्हला सहानुभूति आजिबात नाही. पन ज्या पद्धतिने ही कार्यवाही होती ती ख़ूप भयानक. Spicial court मधे ८-१० दिवसात ज़र निकाल लाउन फ़ाशि दिली आसती तर इतिहास झाला आस्ता.
Uppolice Marte nhi to pol khul jati
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