पुलिस स्टेशन पर मानवाधिकारों को सबसे ज़्यादा ख़तरा: CJI रमन्ना - BBC News हिंदी

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पुलिस स्टेशन पर मानवाधिकारों को सबसे ज़्यादा ख़तरा: CJI रमन्ना

जस्टिस रमन्ना ने स्वीकार किया कि महंगा और देर से मिलने वाला न्याय गऱीब लोगों को क़ानून की शरण में जाने से हतोत्साहित करता है. उन्होंने कहा कि न्याय व्यवस्था के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती भी है.

उन्होंने ये भी कहा कि हमारा इतिहास हमारा भविष्य तय नहीं कर सकता है और हमें ये याद रखना चाहिए कि देश के सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था की वास्तविकता किसी को अधिकार न देने की वजह नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा, ''आओ हम मिलकर एक ऐसे भविष्य का सपना देखें, जिसमें बराबरी वास्तविकता हो. एक्सेस टू जस्टिस प्रोजेक्ट एक लंबा मिशन है.''

उन्होंने कहा, ''सभी पुलिस स्टेशनों और जेलों के बार डिस्पले बोर्ड और होर्डिंग लगाना एक सही दिशा में उठाया गया क़दम है.''इस ऐप के देश की क़ानून व्यवस्था में शामिल सभी लोगों और क़ानूनी संस्थानों से जुड़े कर्मचारियों के मोबाइल फ़ोन में अनिवार्य तौर पर इंस्टॉल किया जाएगा.जस्टिस रमन्ना ने कहा कि कोविड महामारी की चुनौती के बावजूद हम अपनी लीगल एड सेवाएं जारी रख सके हैं.

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

True. Old Police Acts

To ease this, first of all government permission be done away with to prosecute a police person accused of violating human rights Courts should not entertain frivolous petitions to भटकाओ a trial.

Here, role of junior judiciary becomes very important. It is the Magistrate, who first deals with a person in custody. Magistrate has to ensure that human right violation has taken place.

क्या बकवास कर रहे हो ? दुनिया में इस्लामिक सूअर मानवाधिकार का सबसे ज्यादा उलंघन करता है। इस्लाम को बैन किए बिना मानवाधिकार की बात बेमानी है ।

Delhi police ne aaj unknown persons ke against complain registered kiya ha matlab Delhi police amit sah ki doggi bn chuki ha

Bus bol dene se kya system badal jayega sir, Aap to Samvidhan ke sanrakchak hain aur sabse bade ohdhe pe bhe kuch kariye Sahab..🙏🙏

Right

सही एवम सटीक कहा है लेकिन इस पर अमल कौन करवा सकता है,2014 के बाद से मानवाधिकार संगठनों की आवाज को दबाया जा रहा है, पेगासन मामला तो इससे भी बढकर है कि सरकार जिसकी चाहे जान ले ले कोई कुछ भी नहीं कर सकता है, रमन्ना जी क्या करे

Most sad state

100% सही कहा मानवाधिकार के सदस्यों को रोज पुलिस स्टेशन जाकर निरीक्षण करना चाहिए तो जनता को राहत मिलेगी

जहां भी सद्विचारों का पतन होगा, मानवता त्राहि-त्राहि करने लगेंगी सर,,,इसे रोकने का उपाय आपके पास ही है सर,, अनुमति हो तो बताना चाहूंगा।

आज ही के दिन 1942 में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था जिसका RSS ने विरोध किया था

Jaswant Singh khalra……if anybody remembers him…..and police….

पुलिस स्टेशन पर मानवाधिकारों का खतरा नहीं बल्कि मानवाधिकार जैसे शब्द घुटने टेक देते हैं। पुलिस स्टेशन के अंदर मानवाधिकार जैसी कोई चीज नहीं होती।यहां मानव के साथ दानव जैसा व्यवहार किया जाता है।

बिल्कुल सत्य है कि मानवाधिकारों का उल्लंघन सबसे अधिक पुलिस स्टेशनों पर आए दिन होता है

True

जस्टिस रमना साहेब आपकी कार्य प्रणाली से न्यायलय व्यवस्था पर पुन विश्वाश जीवित हुआ है हम आशा करते है कि आप अपक्षपात पुर्ण और कानूनी व्यवस्था के अनुरूप कार्य करेंगे।

Par police walo ko abhi bhi sharm nhi ayegi

Bitter true

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जब किसी के मानवाधिकार का उल्लंघन होता तब ही वह थाने में जाता है और उसके अधिकार की बहाली के लिए जब पुलिस अपने अधिकार का प्रयोग करती है तो वह अपराधी के मानवाधिकार का उल्लंघन कैसे हो गया। जब व्यक्ति कोई अपराध करता है तो उसके मानवाधिकार सीमित हो जाते हैं।

सबसे बड़ा खतरा मानवाधिकार आयोग और सुप्रीम कोर्ट पर ही है.... पेगासस_जासूसी

JUDICIAL SYSTEM IS ALSO RESPONSIBLE !

Thanks sir ji

Honourable CJI sir, well this observation of yours should start the process of reforms to improve upon. In fact it is in the interest of each one of us .Deeper implications, if left unattended.

Bilkul sahi koi aamjan ke koi aadhikar nahi

----जलील होना पड़ता है।वकील,मुंशी और पेशकार के आगे आम आदमी अपने को किस स्थिति में पाता है?हजारों लाखों की फी देने में न्याय पाने हेतु कितने नागरिक सक्षम हैं? न्यायालय में वर्षों जलील होने के बाद भी न्याय मिलेगा कि स्वर्ग सिधारना पड़ेगा किसी को पता नही।काश इसपर भी बयान आता!

Quite correct observation of Supreme court. A reality of Policing.

पुलिस स्टेशन,नेताओं और बड़े अप्राधियों की चार्जिंग पॉइंट है, यहाँ आकर वे खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, यह आज भी ऐसा हो रहा है, अभी ज्यादा कुछ नही बदला है, बस कागजो मे ही बदला है। न जाने कब एक आम नागरिक अपनी शिकायत, पुलिस से बिना डर के कह पायेगा।

I Salute the caliber of CJI for pointing out the atrocities of police in their custody which is very common. Police need to be educated by their senior officers and responsibility to be fixed for any unhuman behavior.

माननीय CJI के बयान से एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट हो जाता है कि पुरानी कहावतें और मुहाबरे कितने सटीक हैं।पर उपदेश कुशल बहुतेरे और दीपक तले अंधेरा।सही है कि मानवाधिकार का उलंघन थाना में होता है।पर जब कोर्ट और न्यायालय जाना पड़ता है तब पता चलता है कि न्याय पाने के लिए कितना जलील होना

सो आने सत्य वचन जज साहब .

Absolutely.

Yes right

100% Sahi

100%true . जितने अपराध होता हैं उससे ज्यादा तर पुलिस दोवारा किया गोये ,कुछ सबूत मिटाने के लिए पुलिस का मिली भगत होता हैं ।कुछ तो पुलिस डायरेक्ट अपराध में संलिप्त होता हैं ।

पुलिस स्टेशनों को न्यायालय के प्रति भी जवाबदेह बनाना चाहिए...?

इस बात को सब जानते हैं, मगर उपाय क्या है ? राजनीति, रसूख और रिश्वत का इस्तेमाल जब तक होगा, वहाँ ये सब होता रहेगा। प्रश्न ये है कि इस व्यवस्था को ठीक करने के लिए माननीय लोग क्या करने वाले हैं ?

True Sir

100%true

देश का सबसे बड़ा भ्र्ष्टाचार केंद्र पुलिस स्टेशन है।

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स्रोत: Dainik Bhaskar - 🏆 19. / 51 और पढो »