पीयूष गोयल ने कहा कि लेकिन उनकी समझ के बारे में आप सब जानते हैं। उनकी जो सोच है वह वामपंथ से प्रेरित हैं। उन्होंने न्याय के गुणगान गाए थे। भारत की जनता ने उनकी सोच को पूरी तरह से खारिज कर दिया।बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनावों में कांग्रेस गरीबी हटाने की जिस बहुप्रचारित और चर्चित 'न्याय' स्कीम को लेकर मैदान में उतरी थी उसे तैयार करने और तानाबाना बुनने में अभिजीत बनर्जी का भी दिमाग लगा था। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पार्टी ने घोषणापत्र तैयार करने में कुछ बड़े अर्थशास्त्रियों की राय और...
कोलकाता में 21 फरवरी 1961 को अभिजीत का जन्म हुआ था। अभिजीत विनायक बनर्जी को बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी। वे अपने अर्थशास्त्री पिता डा. दीपक बनर्जी और अर्थशास्त्री डा. निर्मला से इस बार में सवाल पूछते रहते थे। बता दें, वर्तमान में अभिजीत बनर्जी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफेसर हैं। वहां वे स्टूडेंट्स को में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। अगर उनकी शिक्षा की बात करें तो 1981 में बीएससी की डिग्री कोलकाता यूनिवर्सिटी से लेने के बाद उन्होंने 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढाई संपन्न की। उसके बाद अभिजीत बनर्जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी की। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।अभिजीत को किताबें पढ़ने व लिखने का बेहद शौक है।...
कोलकाता में 21 फरवरी 1961 को अभिजीत का जन्म हुआ था। अभिजीत विनायक बनर्जी को बचपन से ही गरीबी परेशान करती थी। वे अपने अर्थशास्त्री पिता डा. दीपक बनर्जी और अर्थशास्त्री डा. निर्मला से इस बार में सवाल पूछते रहते थे। बता दें, वर्तमान में अभिजीत बनर्जी मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में प्रोफेसर हैं। वहां वे स्टूडेंट्स को में अर्थशास्त्र पढ़ाते हैं। अगर उनकी शिक्षा की बात करें तो 1981 में बीएससी की डिग्री कोलकाता यूनिवर्सिटी से लेने के बाद उन्होंने 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी से एमए की पढाई संपन्न की। उसके बाद अभिजीत बनर्जी ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी भी की। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।अभिजीत को किताबें पढ़ने व लिखने का बेहद शौक है।...
PiyushGoyal लेफ्ट मतलब खून खराबा समर्थक और देश नष्ट करने वाली।एक समाचार पत्र मे तो कन्हैया जैसे गद्दार को समर्थन करने लाला वक्त्वय दिया है। वैसे भी अमर्त्य सेन के सिद्धांत कहाँ लागु किया और किसको ,कितना लाभ पहुँचा स्पष्ट नही हो हो सका है।
PiyushGoyal इसीलिये तो प्राइज मिला है ताकि सनातन संस्कृति के विरुद्घ बोलने पर अहमियत मिले।अमर्त्य सेन के सिद्धांत से कितने लोगों को या किस राष्ट्र को लाभ मिला है अब तक स्पष्ट नही हुआ है। प्राइज अवश्य मिला है उनको। ये सब theoretical लगते हैं। वास्तविकता से कोसों दुर हैं।
PiyushGoyal गोयल साहब केप्ट विचारधारा के हैं ।
PiyushGoyal Sir what is political thought about economic if he belong to Communist?
PiyushGoyal नोबेल पुरस्कार विजेता का तो सम्मान करते PiyushGoyal जी
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