अधिकांश विचार कश्मीर के मुद्दे पर केंद्रित हैं, वहीं कुछ कश्मीरियों पर केंद्रित हैं। 1948 में कश्मीर क्षेत्र पर पाकिस्तान द्वारा युद्ध छेड़ने के साथ कश्मीर को लेकर संघर्ष शुरू हुआ। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भारतीय क्षेत्र पर पाकिस्तान द्वारा किए गए आक्रमण का मामला उठाया।
हालांकि हमारी विदेश नीति की विफलता और पश्चिम के दंभी रुख के चलते पाकिस्तान की इस आक्रामकता को विवादित विलय का रूप दे दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय सरकारों ने संविधान संशोधन और अलग कानून बनाकर विवाद की धारणा को और मजबूत किया। इसके अलावा, प्रचार किया गया कि कश्मीर एकमात्र रियासत थी, जिसे सशस्त्र बलों के इस्तेमाल से भारत में जोड़ा गया और अन्य सभी रियासतें 15 अगस्त 1947 से पहले शांति और इच्छा से भारत या पाकिस्तान में शामिल हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप यह विचार आया कि कश्मीर की स्थिति अनोखी है।...
ये क्षेत्र संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और रूस के साथ पूरी तरह से एकीकृत हो गए हैं। लोगों ने निर्णय को स्वीकार किया है और वे समृद्ध हैं। उपरोक्त क्षेत्रों में हिंसा को हवा देने के लिए कोई बाहरी सहायता प्रदान नहीं की गई थी। लेकिन कश्मीर के मामले में अशांति और हिंसा पाकिस्तान और उसकी सेना के निरंतर उकसावे और समर्थन के कारण रही है। हालांकि, सभी पाकिस्तानी प्रयासों के बावजूद कश्मीरी भारत में काफी खुश हैं क्योंकि उन्हें एहसास है कि उनका भविष्य भारत सरकार के हाथों में सुरक्षित है। अगर भारत या...
को यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत के लिए पूरे जम्मू और कश्मीर के विलय पर कोई विवाद नहीं है। विवाद तो अब पीओके और चीन अधिकृत अक्साई चिन को लेकर है, जिस पर भारत लंबे समय से अपना दावा करता रह है। इस दावे को पूरा करने के लिए, अगले चरण में जम्मूकश्मीर विधानसभा में पीओके और अक्साई चिन के प्रतिनिधि हो सकते हैं।कालत 6 अक्टूबर 1958 सेना की कार्रवाईखारन 21 मार्च 1948 समझौते के आधार परदिर 28 जुलाई 1969 सेना की कार्रवाई कार्रवाईअंब 31 दिसंबर 1947 समझौते के आधार परहुंजा 25 सितंबर 1974 पाकिस्तान सरकार टेक...
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