पाकिस्तान हुक्मरानों में अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के वित्तपोषण की निगरानी करने वाली संस्था 'फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स' का खौफ सर चढ़कर बोल रहा है। आतंकियों को पालने पोसने वाले पाकिस्तानी हुक्मरानों में डर है कि एफएटीएफ कहीं पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट न कर दे। यदि ऐसा हुआ तो कंगाल पाकिस्तान की हालत और पतली हो जाएगी। डूबती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए उसे विदेशी कर्ज भी मिलना मुश्किल होगा। यही वजह है कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने एफएटीएफ के मसले से निपटने के लिए एक कमेटी...
इमरान खान ने 12 सदस्यीय कमेटी को एफएटीएफ के 27 सूत्री कार्ययोजना की कड़ाई से अनुपालन के लिए ही यह समिति गठित की है। एफएटीएफ अक्टूबर में होने वाली अपनी बैठक में पाकिस्तान को काली सूची में डालने के बारे में फैसला लेगा। एफएटीएफ पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट होने से खुद को बचाने के लिए 27 सूत्रीय एक्शन प्लान सौंपा था। पिछली बैठक में एफएटीएफ ने आतंकियों और उनकी फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान को 15 महीने की मोहलत दी थी। यह समय सीमा अक्टूबर में खत्म हो रही...
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान ने वित्त मंत्री हम्माद अजहर के नेतृत्व में नेशनल फंडिंग एक्शन टास्क फोर्स कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी में सभी संस्थानों के प्रमुखों और नियामकों के अलावा वित्त, विदेशी मामलों और आंतरिक सचिवों के संघीय सचिव शामिल हैं। समिति को एफएटीएफ के मसले पर पाकिस्तान की कोशिशों को बढ़ावा देने की अनिवार्यता सुनिश्चित करने की जिम्मेवारी सौंपी गई है। समिति को एफएटीएफ के एक्शन प्लान को 21 दिसंबर तक हर हाल में अनुपालन कराने के लिए कहा...
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने यह कदम ऐसे समय उठाया है जब FATF की एशिया प्रशांत इकाई ने उसे डाउनग्रेड करते हुए 'ब्लैक लिस्ट' में डाल दिया है। बीते दिनों एशिया पैसिफिक ग्रुप की ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में बैठक हुई थी जिसमें उक्त फैसला लिया गया। APG ने टेरर फंडिंग के मानकों को पूरा करने में विफल रहने पर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट किया था। एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के 40 अनुपालन मानकों में से 32 पर खरा नहीं पाया...
बता दें कि एपीजी ने आतंकी फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने वाले 11 प्रभावशाली मानक तय किए थे जिसमें से 10 पर उसकी रेटिंग खराब थी। पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की फंडिंग को लेकर काफी समय से एफएटीएफ के निशाने पर है। एफएटीएफ ने जून 2018 से ही पाकिस्तान को 'ग्रे लिस्ट' में रखा है। निगरानी सूची से बाहर आने के लिए पाकिस्तान पिछले साल एफएटीएफ की ओर से दिए गए 27 में से दो-तीन मानकों को ही पूरा कर पाया है। अब अक्तूबर में जब एफएटीएफ की बैठक होने वाली है तो...
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