पहली बार पहेली बनी देश की सबसे सुरक्षित सीट | DW | 16.04.2019

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इस सीट पर कब्जा बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह इलाके में चुनावी रैलियां कर चुके हैं. दूसरी ओर, ममता ने भी इलाके में तीन-तीन रैलियां की हैं. Election2019 WestBengal MamtaBanerjee bjp

यह है पश्चिम बंगाल के अकेले पर्वतीय पर्यटन केंद्र दार्जिलिंग की संसदीय सीट. बीते दो साल में पर्वतीय इलाके के बदलते राजनीतिक समीकरणों की वजह से अबकी बीजेपी के सामने जहां पिछली बार जीती इस सीट को बचाने की कड़ी चुनौती है वहीं तृणमूल कांग्रेस भी पहली बार यहां जीत के लिए जूझ रही है. अप्रैल के महीने में जहां देश के दूसरे हिस्से तपने लगे हैं वहीं दार्जिलिंग का गुलाबी सर्दी वाला सुहाना मौसम भारी तादाद में सैलानियों को लुभा रहा है.

अब इन पहाड़ियों की दीवारों पर ना तो गोरखालैंड के समर्थन में नारे लिखे नजर आते हैं और ना ही सैकड़ों रैलियों के गवाह रहे शहर के प्रमुख इलाके चौकबाजार में कोई पोस्टर या बैनर नजर आता है. चौकबाजार में मोमो की दुकान चलाने वाले 72 साल के नोरबू लामा कहते हैं,"यह पहली बार है कि जब किसी की जुबान पर गोरखालैंड शब्द नहीं है. हर पार्टी का उम्मीदवार विकास के नाम पर ही वोट मांग रहा है.”

मोर्चा के एक अन्य नेता विनय तामंग ने अब पार्टी के एक बड़े गुट की कमान संभाल ली है और वह ममता बनर्जी के साथ हैं. अस्सी के दशक में गोरखा नेशनल लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख सुभाष घीसिंग के दौर से ही पर्वतीय इलाके में मतदान की हवा जस की तस रही है. यहां सत्तारुढ़ दल जिसका समर्थन करता है, जीत का सेहरा उसके माथे ही बंधता रहा है. इंद्रजीत खुल्लर से लेकर सीपीएम के आर.बी.राई और कांग्रेस के दावा नरबुला हों या फिर बीजेपी के जसवंत सिंह या फिर एस.एस.आहलूवालिया, तमाम लोग इसी फार्मूले से जीतते रहे हैं.

यह पहला मौका है जब राजनीतिक दिग्गज भी इलाके में चुनावी बयार का सटीक अनुमान नहीं लगा पा रहे हैं. मोर्चा अध्यक्ष रहे विमल गुरुंग भले भूमिगत हों, वह अपने वीडियो संदेशों के जरिए लोगों से तृणमूल कांग्रेस और मोर्चा के तामंग गुट को हराने की अपील कर रहे हैं. दूसरी ओर, ममता के समर्थन से गोरखालैंड टेरीटोरियल एडिमिस्ट्रेशन का अध्यक्ष बनने के बाद विनय तमांग ने इलाके में कई विकास योजनाएं शुरू की हैं. सड़कों के अलावा पेय जल की सप्लाई का काम बी शुरू किया गया है.

 

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